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'लालच वासना लत' तथा 'ग्रीड लस्ट एडिशन' का नैनीताल में विमोचन


'लालच वासना लत' तथा 'ग्रीड लस्ट एडिशन' का नैनीताल में विमोचन नैनीताल में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के यूनाइटेड प्रोफेशनल्स एंड स्कॉलर फॉर एक्शन की ओर से पर्यावरणीय संवेदनशीलता विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार हुआ।

रिपोर्ट  - à¤µà¤¿à¤¶à¥‡à¤· संवाददाता

'लालच वासना लत' तथा 'ग्रीड लस्ट एडिशन' का नैनीताल में विमोचन नैनीताल में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के यूनाइटेड प्रोफेशनल्स एंड स्कॉलर फॉर एक्शन की ओर से पर्यावरणीय संवेदनशीलता विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार हुआ। इस अवसर पर प्रोफेसर बी.एल.शाह, निदेशक यूजीसी-एचआरटीसी कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल प्रोफेसर एम.एम. सेमवाल, एच.ओ.डी. राजनीतिक विज्ञान, एच.एन.बी.जी.यू, श्रीनगर, गढ़वाल, डॉ आनंद कुमार शर्मा, उप महानिदेशक, मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून; प्रोफेसर आर.के.भाकुनी राजनीति विज्ञान विभाग, कुमाऊं विश्वविद्यालय; प्रोफेसर सुनील खोसला, पंजाब विश्वविद्यालय; प्रोफेसर राजेश पालीवाल, क्षेत्रीय निदेशक, यूओयू हल्द्वानी; डॉ एस.पी.सती,रजिस्ट्रार, भारसार विश्वविद्यालय, रानीचौरी, टिहरी गढ़वाल; दीपक भट्ट, एसोसिएट प्रोफेसर, डीबीएस कॉलेज, देहरादून; ने पर्यावरण को बचाने तथा सुधारने के लिए अपने विचार रखे । इस सेमिनार में "देवभूमि गौरव अवार्ड" से सम्मानित लेखक रवि डबराल के ज्ञानवर्धक और रोचक हिंदी 'लालच वासना लत' तथा इंग्लिश उपन्यास 'ग्रीड लस्ट एडिक्शन' का उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने विमोचन किया । लेखक रवि गबराल " शिक्षा, कॉर्पोरेट तथा सामाजिक सेवाओं के लिए उत्कृष्टता पुरस्कार" के अंतरराष्ट्रीय विजेता है तथा 25 से अधिक शैक्षिक और पेशेवर योग्यताएं रखते हैं । वर्तमान में वे सिंगापुर में स्थित हैं । इस सेमिनार में लेखक के कजिन और बचपन के मित्र विनोद कुमार डबराल जो कि सोशियोलॉजी में एम.ए है भी उपस्थित थे । विनोद अरोड़ा ने बताया कि उनको लेखक रवि डबराल के साथ हिमालय में आध्यात्मिक योगियों और आश्रम गुरुओं के साथ किताब लिखने के लिए रिसर्च के दौरान मुलाकात करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । लेखक रवि डबराल ने अपने उपन्यास लिखने के दौरान कई रिसर्च, छान-बीन तथा खोज किए तथा पाया कि उत्तराखंड में उगाए जाने वाले ऑर्गेनिक, नेचुरल और हर्बल पौधों मैं औषधीय गुण होते हैं । उत्तराखंड में शुद्ध और साफ हवा तथा मिट्टी के बेहतर पर्यावरण गुणों के कारण हैं । विनोद डबराल ने कहा कि रवि डबराल की किताब से प्रेरित होकर उनके चोपड़ियाल गांव, टिहरी गढ़वाल में कुछ जागरूक लोगों ने "चोपड़ियाल गांव ग्रामोत्थान समिति" नाम की एक संस्था बनाकर ऑर्गेनिक तथा हर्बल फार्मिंग की दिशा में प्रयास शुरू किया है।

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