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पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘योग सूत्र एवं इसकी तकनीकी शब्दावली’ विषय पर वेबगोष्ठी का शुभारंभ


वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, शिक्षा मंत्रलय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एवं पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार द्वारा समायोजित ‘योग सूत्र एवं इसकी तकनीकी शब्दावली’ विषय पर पांच दिवसीय वेबगोष्ठी का भव्य शुभारम्भ वैदिक मंत्रेच्चारण से हुआ। वि-वि- के संकायाध्यक्ष (शिक्षण एवं शोध) तथा इस कार्यक्रम के संयोजक डॉ. वी. के. कटियार द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न अतिथि विद्वानों, शोधकर्त्ताओं एवं प्रतिभागियों के स्वागत-अभिनन्दन के पश्चात् कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. रुद्र भण्डारी द्वारा कार्यक्रम की संक्षिप्त रूप-रेखा प्रस्तुत की गयी।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार, 27 अगस्त। वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, शिक्षा मंत्रलय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एवं पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार द्वारा समायोजित ‘योग सूत्र एवं इसकी तकनीकी शब्दावली’ विषय पर पांच दिवसीय वेबगोष्ठी का भव्य शुभारम्भ वैदिक मंत्रेच्चारण से हुआ। वि-वि- के संकायाध्यक्ष (शिक्षण एवं शोध) तथा इस कार्यक्रम के संयोजक डॉ. वी. के. कटियार द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न अतिथि विद्वानों, शोधकर्त्ताओं एवं प्रतिभागियों के स्वागत-अभिनन्दन के पश्चात् कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. रुद्र भण्डारी द्वारा कार्यक्रम की संक्षिप्त रूप-रेखा प्रस्तुत की गयी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष, सी.एस.टी.टी., नई दिल्ली प्रो0 अवनीश कुमार ने अपने उद्बोधन में कोरोना की रोकथाम के लिए पतंजलि परिवार के भगीरथ प्रयास की सराहना करते हुए शब्दावली आयोग के कार्यक्षेत्र एवं भावी योजना के बारे में संक्षिप्त चर्चा की। इसके साथ ही प्रो0 अवनीश ने संस्कृत को सबसे प्राचीनतम एवं अपार ज्ञान सम्पदा से परिपूर्ण भाषा बताते हुए इसे प्राचीनकाल में प्रबुद्ध वर्गों के चर्चा की भाषा बताया। कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि एवं श्री लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रमेश कुमार पाण्डेय जी ने इस कार्यशाला को अति आवश्यक बताते हुए कहा कि ज्ञान के समान पवित्र कुछ भी नहीं है और योग ज्ञान प्राप्त करने का दिव्य साधन है। वेद विद्या के विद्वान, कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल जी ने अपने उद्बोधन में पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव एवं कुलपति आचार्य बालकृष्ण को कहा कि आत्माबोध से बढ़कर कुछ भी नहीं है तथा जीवन का कायाकल्प अध्यात्म विद्या के बिना सम्भव नहीं हो सकता है। इसके पश्चात् पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण द्वारा वीडियो संदेश के माध्यम से अध्यक्षीय उद्बोधन दिया गया। उन्होंने दुनिया को दुनिया की ही भाषा में समझाने पर बल देते हुए कहा कि शास्त्रीय एवं तकनीकी शब्दों के अर्थ जाने बिना उसके दिव्य भाव को ग्रहण नहीं किया जा सकता है। उद्घाटन सत्र की समाप्ति पर तीन तकनीकी सत्र सम्पन्न हुए। प्रथम दिवस के प्रथम तकनीकी सत्र में डॉ. महावीर जी ने महर्षि पतंजलिकृत योग सूत्र के प्रथम अध्याय के प्रारम्भिक 15 सूत्रों की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने अभ्यास-वैराग्य को विभिन्न प्रकार की चित्त-वृत्तियों को दूर करने में सहायक बताया। द्वितीय सत्र में एस-व्यासा विश्वविद्यालय, बैंगलोर के पूर्व कुलपति प्रो0 के. सुब्रह्मण्यम जी ने अष्टांग योग की विशद व्याख्या की एवं अनुशासन को जीवन में धारण करने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम के तृतीय सत्र में गायत्री विद्या के मर्मज्ञ लाल बिहारी सिंह जी द्वारा योग सूत्र के द्वितीय अध्याय के कुछ सूत्रों पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने कर्त्तव्य परायणता एवं स्वाध्याय के निरन्तर अभ्यास के लिए प्रतिभागियों को प्रेरित किया। इस कार्यक्रम में अतिथियों, वक्ताओं सहित विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रवीण पुनिया जी, सहायक कुलानुशासक स्वामी परमार्थदेव जी एवं समस्त अधिकारीगण, सभी संकाय एवं विभाग के अध्यक्ष, आचार्यगण, शोध छात्र ऑनलाईन माध्यम से जुडे़। अन्य संस्थानों के 100 से अधिक प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम से जुड़कर अपना ज्ञानवर्धन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं कार्यक्रम के सहसंयोजक डॉ. रुद्र भण्डारी एवं डॉ. विपिन कुमार द्विवेदी द्वारा किया गया। अन्त में डॉ. द्विवेदी द्वारा विश्वविद्यालय परिवार की ओर से अतिथि वक्ताओं एवं सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया गया।

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