घर के पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की पूजा à¤à¤—वान के साथ नहीं करना चाहिà¤à¥¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमारे हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में मृत पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ को पितृ माना जाता है।पितृ को पूजà¥à¤¯à¤¨à¥€à¤¯ अवशà¥à¤¯ माना जाता है इसमें कोई संशय नहीं है, परनà¥à¤¤à¥ ईशà¥à¤µà¤° के साथ पितरों की पूजा का विधान नहीं है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
घर के पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की पूजा à¤à¤—वान के साथ नहीं करना चाहिà¤à¥¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमारे हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में मृत पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ को पितृ माना जाता है।पितृ को पूजà¥à¤¯à¤¨à¥€à¤¯ अवशà¥à¤¯ माना जाता है इसमें कोई संशय नहीं है, परनà¥à¤¤à¥ ईशà¥à¤µà¤° के साथ पितरों की पूजा का विधान नहीं है।पितरों के लिये पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ दिनों का पकà¥à¤· सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤² रखा ही गया है।इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ पितृपकà¥à¤· में पितरों की पूजा अथवा सेवा का विधान बनाया गया है।आचारà¥à¤¯ हिमांशॠपाराशर ने बताया की इसी पकà¥à¤· में पितरों के लिये कबà¥à¤¯ दिया जाता है।साथ ही पितरों की आराधना में वेद मंतà¥à¤°à¥‹à¤šà¥à¤šà¤¾à¤° à¤à¥€ वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ बताया गया है।साथ ही अपने पिता की मृतà¥à¤¯à¥ की तिथि पर उनकी आतà¥à¤®à¤¾ की शांति के लिठविà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ तरह का दान किया जाता हैं । लेकिन à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है, कि आपके घर के मंदिर में à¤à¤—वान की ही मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ और तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ हों, उनके साथ किसी मृतातà¥à¤®à¤¾ का चितà¥à¤° à¤à¥€ नहीं लगाया जाना चाहिये।साथ ही à¤à¤—वान के साथ अपने पितरों की पूजा à¤à¥€ नहीं करना चाहिà¤à¥¤à¤‡à¤¸à¤•à¥‡ पीछे कारण है, सकारातà¥à¤®à¤•-नकारातà¥à¤®à¤• ऊरà¥à¤œà¤¾ और अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® में हमारी à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¤à¤¾ का।मृतातà¥à¤®à¤¾à¤“ं से हम à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• रूप से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ होते हैं ।