Latest News

क्या गंगा नदी से दिव्य प्रेम सेवा मिशन का साम्राज्य हट पाएगा!


जो लोग अपनी कमीज और चादर सबसे उजली होने का दावा करते हैं उन्हें उसको वैसे ही रखना भी चाहिए और दिखना भी चाहिए। लेकिन हकीकत में ऐसा दावा करने वालों की कमीज और चादर पर नजर डालो हो तो पता चलता है वह कितनी मैली है और कितने छेद हैं।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¤à¤¨à¤®à¤£à¥€ डोभाल

बैरागी कैंप गंगा नदी की भूमि है जो कुंभ मेला के लिए आरक्षित है। जटा और तिलकधारी जोगियों ने इस भूमि पर कुंभ मेला 2010 से अवैध रूप से कब्जा और अवैध निर्माण शुरू कर दिए थे। सिंचाई विभाग के स्वामित्व की इस भूमि को 4 महीने के लिए कुंभ मेलाधिकारी की सुपुर्दगी में दिया गया था।कायदे से मेलाधिकारी आनंद वर्धन को कुंभ के बाद भूमि खाली कराकर सिंचाई विभाग को सौंपनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कुंभ के लिए आए जोगी वहीं धुनी जमाकर बैठे रह गए। इस शहर का सबसे बड़ा गुनहगार हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण है। जिसने शिकायतों के बाद भी जोगियों के अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। सिंचाई विभाग के अधिकारी भी जोगियों के आशीर्वाद स्वरूप मिले प्रसाद में मस्त होते गए तो होते ही चले गए। गंगा नदी की भूमि पर अतिक्रमण और अवैध कब्जों जिन्हें हाईकोर्ट के आदेश पर 2013 में हटा दिया जाना चाहिए था लेकिन जिला प्रशासन और संबंधित विभागों के अधिकारी शासन के आदेशों कोर्ट के आदेशों को फाइलों में दबा कर बैठे रहे हैं। उत्तराखंड शासन के अपर सचिव विजय कुमार ढ़ोढियाल ने आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद तथा आयुक्त गढ़वाल और कुमाऊं के साथ सभी जिलों के जिला अधिकारियों को 13 नवंबर 2013 को एक शासन की ओर से आदेश जारी किया था। जिसके साथ जनहित रिट याचिका संख्या 233/ 2008 श्रीमती बीना बहुगुणा बनाम राज्य में उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा पारित आदेश 4 जुलाई 2013 के अनुपालनार्थ संलग्न किया गया था। शासनादेश में निर्देशित किया गया था कि किसी भी प्रकार के निर्माण कार्यों के लिए नदी श्रेणी में दर्ज भूमि को अग्रिम आदेशों तक प्रस्तावित ना किया जाए तथा अग्रिम आदेशों तक नदी श्रेणी में दर्ज किसी भी भूमि पर निर्माण किए जाने की अनुमति न दी जाए। इसके बावजूद गंगा नदी की भूमि पर कब्जा कर अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। यही नहीं प्रमुख सचिव सिंचाई आनंद वर्धन ने हाईकोर्ट के आदेश एनजीटी के आदेश अवैध निर्माणों को हटाने के आदेश को धता बताते हुए कुष्ठ रोगियों की सेवा तथा कुष्ठ रोगियों तथा अन्य निराश्रित, गरीब, असहाय लोगों के बच्चों की शिक्षा, संस्कार प्रदान करने के नाम पर गंगा नदी की नीलधारा चंडीघाट की भूमि पर काबिज दिव्य प्रेम सेवा मिशन न्यास सेवा कुंज को 6 दिसंबर 2018 को उनके द्वारा संचालित प्रकल्प सेवा कुंज परिसर की मरम्मत एवं अस्थाई निर्माण कार्य करने के स्वीकृति दी। जबकि उत्तराखंड उत्तराखंड शासन के सचिव विनोद फोनिया ने 16 दिसंबर 2008 को इस संस्था को कुष्ठ रोगियों की चिकित्सा के लिए सिंचाई विभाग के 100 गुणा 100 मीटर भूमि अस्थाई रूप से उपयोग करने के कड़ी शर्तों के साथ स्वीकृति दी थी। शासनादेश में साफ-साफ लिखा है कि इस भूमि पर संस्था द्वारा किसी प्रकार का अस्थाई,स्थाई निर्माण, करने से पूर्व शासन, जिला प्रशासन, मेला प्रशासन से अनुमति प्राप्त की जानी आवश्यक होगी तथा इस भूमि का स्वामित्व सिंचाई विभाग तथा विभाग को उसकी आवश्यकता अनुसार भूमि यथास्थिति संस्थान को वापस करनी होगी। उच्च न्यायालय नैनीताल में एक जनहित याचिका पर 26 फरवरी 2013 को यह आदेश पारित किया था "directed is ensure that any constructions made on the banks of river Ganges subsequent to 2000 is removed" । इससे पहले खुद प्रमुख सचिव आनंद वर्धन 26 फरवरी 2017 फ्लड जोन संबंधित अधिसूचना जारी की थी। जिसमें जिला हरिद्वार के चंडी घाट पुल से लक्सर के ग्राम कलसिया तक 50 किलोमीटर परिधि तक बाढ़ प्रभावित मैदानी क्षेत्र की चिन्हित भूमि पर जल - मल व ठोस अपशिष्ट निस्तारण की समुचित व्यवस्था होने, जिसका परीक्षण उत्तराखंड पेयजल निगम द्वारा किए जाने के बाद ही धार्मिक मेलों आदि अस्थाई आयोजन किए जाने का दिशा - निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद उन्होंने अपनी कमीज सबसे चिट बताने वाली संस्था दिव्य प्रेम सेवा मिशन न्यास को 6 दिसंबर 2018 को गंगा नदी में फैले अपने साम्राज्य परिसर की मरम्मत तथा अस्थाई निर्माण की हरी झंडी यह जानते हुए भी कि हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने संस्था के अवैध निर्माण के विरुद्ध ध्वंस्तीकरण के आदेश पारित कर रखे हैं और सिंचाई विभाग ने संस्था को अवैध कब्जे हटाने के लिए कई नोटिस जारी कर रखें हैं के बाद भी दी है। समाजसेवी एवं आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश चन्द्र शर्मा ने प्रमुख सचिव आनंद वर्धन द्वारा नियम विरुद्ध किए कार्यों की जांच के लिए मुख्यमंत्री को विस्तृत विवरण के साथ ज्ञापन भेजा है। संस्था के विद्यालय माधवराव देवले शिक्षा मंदिर की कूट रचित मान्यता का प्रकरण अभी शांत भी नहीं हुआ था कि गंगा नदी में अवैध निर्माण का मामला सामने आ गया है।

Related Post