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अपनी गर्दन बचाने के लिए मेमना ढूंढ रहा है बकरा, माधवराव देवली शिक्षा मंदिर मान्यता का फर्जीवाड़ा


माधवराव देवले शिक्षा मंदिर चंडीघाट की मान्यता को संबंधी जालसाजी के प्रखंड में नया मोड़ आया है। अब बकरा अपनी गर्दन बचाने के लिए मेमना ढूंढ रहा है। जिला अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय ने वर्ष 2000-01में विद्यालय के भूमि, भवन के अभिलेखों की जांच पड़ताल तथा फाइल के ही फर्जी जिसे सरकारी भाषा में कूट रचना कहते हैं अस्थाई मान्यता प्रदान कर दी थी।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¤à¤¨à¤®à¤£à¥€ डोभाल

माधवराव देवले शिक्षा मंदिर चंडीघाट की मान्यता को संबंधी जालसाजी के प्रखंड में नया मोड़ आया है। अब बकरा अपनी गर्दन बचाने के लिए मेमना ढूंढ रहा है। जिला अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय ने वर्ष 2000-01में विद्यालय के भूमि, भवन के अभिलेखों की जांच पड़ताल तथा फाइल के ही फर्जी जिसे सरकारी भाषा में कूट रचना कहते हैं अस्थाई मान्यता प्रदान कर दी थी। इसके बाद वर्ष 2008 में तत्कालीन अपर जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा हरिद्वार ने जालसाजी से गंगा नदी में संचालित विद्यालय को कक्षा एक से पांच तक की स्थायी मान्यता प्रदान कर दी थी। आरटीआई के हथियार से जनहित के कई भ्रष्टाचार तथा अनियमितता के प्रकरणों का पर्दाफाश करने वाले समाजसेवी रमेश चंद शर्मा के माधवराव देवले शिक्षा मंदिर चंडीघाट के फर्जीवाड़ा की जांच सूचना आयोग के आदेश पर शिक्षा निदेशक के स्तर से की जा रही है। प्रकरण में नया मोड़ है यह आया है कि वर्ष 2008 में विद्यालय को अस्थाई से स्थाई मान्यता देने के समय जो अपर जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा हरिद्वार थे वह अब जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा हरिद्वार के पद पर हैं। जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा आनन्द भारद्वाज शासन की नजर में बलि का बकरा हो सकतें हैं। उन्हीं से शिक्षा निदेशक बार बार बताने को कह रहे हैं कि 2000-01 में विद्यालय को कूट रचना कर अस्थाई मान्यता किसने की थी बताया जाए ताकि उसके विरुद्ध कार्रवाई की जा सके। आनंद भारद्वाज इसलिए फंसे हुए हैं यदि वह फर्जी अस्थाई मान्यता देने वाले कर्मचारी को चिन्हित कर देते हैं तो फिर उन्हें बताना होगी कि जब पहले ही फर्जी अस्थाई मान्यता थी तो उन्होंने 2008 में स्थायी मान्यता कैसे दे दी। अपने को जांच की आंच से बचाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा आनन्द भारद्वाज ने 17 अगस्त को खंड शिक्षा अधिकारी बहादराबाद को जांच अधिकारी नामित किया है। उन्हें निर्देशित किया गया है माधवराव देवली शिक्षा मंदिर सेवा कुंज चंडी घाट हरिद्वार को वर्ष 2000-01 में फर्जी मान्यता के संबंध में मान्यता पटल पर कार्यरत लिपिक को चिन्हित कर जांच आख्या उपलब्ध कराई जाए। मजेदार बात यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा फर्जीवाड़ा मानने के बाद भी उन्होंने अभी तक फर्जी विद्यालय को दी गई स्थायी मान्यता का न तो स्वयं निरस्त किया है और न निदेशक को संस्तुति भेजी है। गौरतलब है कि इसी फर्जी विद्यालय के छात्रों के छात्रावास के निर्माण के लिए राज्यसभा सदस्य रहते हुए रामनाथ कोविंद ने अपनी सांसद निधि से 25 लाख रुपए दिए थे। संस्था अपने सेवा प्रकल्पों के नाम पर देश-विदेश से करोड़ों रुपए का चंदा जुटाती है।

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