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ऐम्स में13 वर्षीय किशोरी के हृदय में जन्मजात बने छिद्र की सफलतापूर्वक होल लगाकर सर्जरी की है


एम्स ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों ने कॉर्डियोलाॅजी व एनेस्थिसिया विभाग के सहयोग से एक 13 वर्षीय किशोरी के हृदय में जन्मजात बने छिद्र की सफलतापूर्वक की- होल (छोटा चीरा) लगाकर सर्जरी की है।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों ने कॉर्डियोलाॅजी व एनेस्थिसिया विभाग के सहयोग से एक 13 वर्षीय किशोरी के हृदय में जन्मजात बने छिद्र की सफलतापूर्वक की- होल (छोटा चीरा) लगाकर सर्जरी की है। खासबात यह रही कि इसके लिए चिकित्सकीय टीम ने मरीज की किसी भी हड्डी को बिना काटे महज आठ सेंटीमीटर छोटे चीरे से इस जटिल सर्जरी को अंजाम दिया। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने इस सफलता के लिए चिकित्सकीय दल को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने बताया कि इस सर्जरी की शुरुआत अमेरिका में वर्ष 2008-09 में की गई, भारत में इस विधि से चुनिंदा मेडिकल संस्थानों में ऑपरेशन किए जाते हैं। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान में मिनिमल इनिवेजिव कॉर्डियक सर्जरी छोटे चीरे से आपरेशन की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। उन्होंने बताया कि संस्थान में नियमित तौर पर हार्ट के सभी प्रकार की बाईपास व अन्य ऑपरेशन किए जा रहे हैं, साथ ही बच्चों की हृदय शल्य चिकित्सा भी शुरू कर दी गई है। एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि जल्द ही एम्स संस्थान में छोटे चीरे से अन्य तरह की बड़ी सर्जरियां भी शुरू की जाएंगी,जिससे मरीजों को बड़े व जटिलतम ऑपरेशन के लिए राज्य से बाहर महानगरों के चक्कर नहीं लगाना पड़े। बिजनौर निवासी 13 वर्षीया किशोरी लंबे समय से सांस फूलने की समस्या से ग्रस्त थी, कई जगह परीक्षण के बाद आराम नहीं मिलने पर उसे परिजन ऋषिकेश एम्स पहुंचे और हृदय रोग विभाग में परीक्षण कराया। हृदय रोग विभागाध्यक्ष डा. भानु दुग्गल व डा. यश श्रीवास्तव ने परीक्षण के बाद पाया कि किशोरी के दिल में जन्मजात तीन छिद्र छेद हैं। परीक्षण के बाद सीटीवीएस विभाग की टीम ने एनेस्थिसिया टीम के सहयोग से इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। सीटीवीएस विभाग के डा. अंशुमान दरबारी व डा. दीपक सत्संगी ने एनेस्थिसिया टीम के डा. उम्मेद सिंह के सहयोग से ऑपरेशन किया। उन्होंने बताया कि किशोरी की दिल की यह जटिल सर्जरी बिना हड्डी को काटे छाती की दाईं ओर करीब आठ सेंटीमीटर के चीरे से हृदय को रोककर दिल के छेद बंद किए गए। उन्होंने बताया कि सर्जरी की ​इस विधा से हड्डी की सुरक्षा के साथ ही छोटा चीरा लगाने से दर्द कम होता है और ऑपरेशन के बाद रिकवरी भी जल्दी होती है, साथ ही कॉस्मेटिक लिहाज से भी यह सर्जरी अन्य विधि के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है।

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