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हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय द्वारा एक ऑनलाइन गोष्ठी


हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय द्वारा एक ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया. गूगल मीट के माध्यम से हिन्दी विभाग के प्राध्यापकों सहित विभाग छात्र-छात्राओं ने इसमें सहभागिता की.

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय द्वारा एक ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया. गूगल मीट के माध्यम से हिन्दी विभाग के प्राध्यापकों सहित विभाग छात्र-छात्राओं ने इसमें सहभागिता की. इस विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए प्रो. सुचित्रा मलिक ने कहा कि हिन्दी का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. पूर्व उपनिवेशिक काल में हिन्दी देश की प्रमुख सम्पर्क भाषा थी तथा व्यापार के लिए इसका उपयोग होता था. प्रो. सुचित्रा मलिक ने कहा उत्तर उपनिवेशिक काल में अधिकाँश देशों में अपनी मातृभाषा को को प्राथमिकता देते हुए उसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित किया परन्तु दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से भारत में हिन्दी राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित नहीं हो सकी. उन्होंने इसके लिए भाषायी राजनीति को जिम्मेदार बताया. प्रो.मलिक ने नई शिक्षा नीति में हिन्दी और भारतीय भाषाओं को सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को धन्यवाद ज्ञापित किया. विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए डॉ. मृदुल जोशी ने कहा हिन्दी का वैश्विक स्वरूप बहुत व्यापक हुआ है प्रवासी भारतीयों ने हिन्दी को वैश्विक पटल पर एक अलग पहचान दिलायी हैं. उन्होंने फ़िजी, सूरीनाम आदि देशों के उल्लेखनीय साहित्यकारों को उनकी रचनाओं के माध्यम से रेखांकित किया. डॉ. जोशी ने कहा हिन्दी को विश्व के प्रमुख विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जा रहा है यह एक गर्व का विषय हैं. उन्होंने कहा कि हिन्दी का भविष्य उज्ज्वल है. हिन्दी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. निशा शर्मा ने कहा कि हिन्दी का किसी अन्य भाषा से कोई बैर भाव नहीं है बल्कि हिन्दी इतनी उदार है कि इसमें अन्य भाषाओं के शब्दों का सहजता से समावेश हो गया है. उन्होंने भाषा के दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हिन्दी से जुड़ी हीनताग्रंथि को छोड़ने की आवश्यकता है क्योंकि हिन्दी एक आत्मविश्वास की भाषा है. सहायक प्रोफेसर डॉ. अजित तोमर ने विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि हिन्दी से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को भाषा की प्रौद्योगिकी और तकनीकी ज्ञान में निपुण होने की आवश्यकता है तभी हिन्दी का समग्र उन्नयन संभव हो सकेगा. डॉ. तोमर ने कहा कि हिन्दी से हमारा सम्वेदना का रिश्ता है इसलिए इसे महज रोजगार का साधन समझने की प्रवृत्ति से हमें बचना चाहिए. हिन्दी विभाग की शोध छात्रा ममता कुंअर ने कहा कि नई शिक्षा नीति में हिन्दी और भारतीय भाषाओं का पहली बार वह सम्मान हुआ है जिसके लिए वे सदैव से पात्र थी. ममता कुंअर ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के भाषा एवं साहित्य अनुराग की चर्चा करते हुए कहा कि उनके कारण ही हिन्दी का परचम देश-विदेश में लहरा रहा है. इस ऑनलाइन विचार गोष्ठी में डॉ. रामबाबू, विनय प्रताप सिंह, रुपेश कुमार, सुधीर कुमार, अल्का कुमारी, शिवानी, नईम अहमद आदि अन्य छात्र भी ऑनलाइन उपस्थित रहें. कार्यक्रम का संचालन डॉ. निशा शर्मा और डॉ. अजित तोमर ने संयुक्त रूप से किया

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