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यूपीएससी की चुप्पी मुझे हैरान कर रही है


सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी के माध्यम से नौकरशाही में जामिया के मुस्लिम जेहादियों की घुसपैठ कर कुदर्शन (सुदर्शन) टीवी के समाज में जहर फैलने के कार्यक्रम पर बेशक रोक लगा दी है।जिसका संविधान तथा लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले सभी लोगों तथा संस्थाओं ने स्वागत किया है।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¤à¤¨à¤®à¤£à¥€ डोभाल

सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी के माध्यम से नौकरशाही में जामिया के मुस्लिम जेहादियों की घुसपैठ कर कुदर्शन (सुदर्शन) टीवी के समाज में जहर फैलने के कार्यक्रम पर बेशक रोक लगा दी है।जिसका संविधान तथा लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले सभी लोगों तथा संस्थाओं ने स्वागत किया है। यद्यपि मैं व्यक्तिगत रूप से यह मानता हूं कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को ही इसको संज्ञान लेना चाहिए था। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड को ही सुदर्शन टीवी को उसकी हद बता देनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने अपने दायित्व का निर्वहन नहीं किया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने तो उसको जहर उगलने की छूट ही दे दी थी। इससे मैं समझता हूं मुसलमानों के खिलाफ यह कार्यक्रम सुदर्शन टीवी का ना होकर सरकार द्वारा प्रायोजित रहा होगा क्योंकि यह संघ की घोषित विषाक्त विचारधारा जैसा ही है और मंत्रालय द्वारा जहर उगलने की अनुमति दिए जाने से इसकी पुष्टि भी होती है। बहरहाल मैं इस पूरे घटनाक्रम पर यूपीएससी की चुप्पी पर हैरान हूं। यूपीएससी के तौर - तरीके को लेकर भले ही कभी कभार नुक्ताचीनी की जाती रही हो लेकिन उसकी परीक्षाओं को लेकर कभी किसी ने सवाल उठाया हो मेरी जानकारी में नहीं है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि देश की एकमात्र संविधानिक संस्था यूपीएससी ही है जिसने अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखा है। लेकिन पहली बार उसकी परीक्षाओं से मुस्लिम जेहादियों की नौकरशाही में घुसपैठ का टीवी कार्यक्रम बनाएं जाने पर यूपीएससी की चुप्पी मुझे विचलित कर रही है। जो काम पूर्व आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के ग्रुप ने सरकार द्वारा जहरीला कार्यक्रम दिखाने की हरी झंडी दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर किया है करता इस काम को यूपीएससी को नहीं करना चाहिए था उसको सरकार से ऐसे जेहादी कार्यक्रम पर रोक लगाने के लिए नहीं कहना चाहिए था?। सुप्रीम कोर्ट ने ठीक कहा कि मीडिया के लिए अभिव्यक्ति की आजादी एक नागरिक से अलग नहीं हो सकती है। बावजूद इसके मैं मानता हूं कि मीडिया को अपना रास्ता खुद बनाना चाहिए। कोई और उसके लिए रास्ता बनाए यह ठीक नहीं है।

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