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करोना वायरस के चलते पितृ अमावस्या पर हरिद्वार हर की पौड़ी पर उमड़ी सर्धालुओं की भीड़


पितृ अमावस्या के अवसर पर हर की पौड़ी गंगा में दुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड पड़ी एसे लग रहा था कि कोरोना का डर लोगों के मन में नहीं था |

रिपोर्ट  - à¤°à¤¾à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गौड़

हरिद्वार में पितृ अमावस्या के अवसर पर हर की पौड़ी गंगा में दुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड पड़ी एसे लग रहा था कि कोरोना का डर लोगों के मन में नहीं था | स्नान के उपरांत लोगों ने श्रधा भाव से अपने पूर्वजों के नाम से संकल्प कर ब्रहामणों को दान किया| पंडित टेसूराज गौड़ ने बताया कि पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन अपने सामर्थ्य अनुसार दान जरूर करना चाहिए. इससे आपके ज्ञात अज्ञात संकट कट जाएंगे आश्विन मास के कृष्णपक्ष का सम्बन्ध पितरों से होता है. इस मास की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है. इस दिन धरती पर आए हुए पितरों को याद करके उनकी विदाई की जाती है. अगर पूरे पितृ पक्ष में अपने पितरों को याद न किया हो तो केवल अमावस्या को उन्हें याद करके दान करने से और निर्धनों को भोजन कराने से पितरों को शान्ति मिलती है. इस दिन दान करने का फल अमोघ होता है साथ ही इस दिन राहु से सम्बंधित तमाम बाधाओं से मुक्ति पायी जा सकती है| वहीं प्रशासन द्वारा नारायणी शिला मंदिर ( प्रेत शिला ) के कपाट बंद करा दिए थे जिससे कोरोना वायरस के चलते लोग एकत्रित न हो सकें लेकिन हर की पौड़ी पर कोई प्रतिबंध नजर नहीं आया |

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