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आज से शुरू हो रहा मलमास, एक माह तक वर्जित रहेंगें मांगलिक कार्य


मलमास शुक्रवार से प्रारंभ हो रहा है। इसे अधिक मास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ग्रह कन्या राशि में विराजमान रहेंगे। ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि अधिक मास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए।

रिपोर्ट  - à¤…जय सिन्हा

अयोध्या। मलमास शुक्रवार से प्रारंभ हो रहा है। इसे अधिक मास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ग्रह कन्या राशि में विराजमान रहेंगे। ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि अधिक मास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। मान्यता है कि अधिक मास में शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि नहीं होते। पूरे माह भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ज्योतिषाचार्य सुशील सिंह बताते हैं कि इस बार मलमास इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि अबकी पितृ पक्ष के तुरंत बाद नवरात्र प्रारंभ नहीं हो रहे हैं। यह महीना भगवान विष्णु और भगवान शंकर से संबंधित है। भगवान विष्णु ने कहा है कि अधिक मास का मैं स्वयं स्वामी हूं। अधिक मास में जो भी भक्त मेरी पूजा और उपासना करेगा उसे आशीर्वाद प्राप्त होगा। पीले रंग के फल, मिठाई, वस्त्र जरूरतमंद ब्राह्मण को दान करें। सामर्थ्यवान लोग किसी कन्या के विवाह में मदद करने का संकल्प लेकर उसके विवाह के समय धन आदि देकर मदद करें। कन्या पूजन भी शुभ है, मलमास में रुद्राभिषेक भी बहुत फल देता है। कभी कभी चमेली के तेल से भी रुद्राभिषेक करें । ज्योतिषाचार्य सुशील सिंह बताते हैं कि इस महीने के विषय में बहुत सारी भ्रांतियां हैं। विशेषकर उत्तर भारत में। यह सच है कि मलमास में शादी विवाह नहीं करते परंतु खरीदारी आदि में कोई रोकटोक नहीं है क्योंकि जब से गुणमिलान आदि अवधारणाएं आईं, उसके बहुत पहले से अधिक मास की मान्यता है। अधिकमास का उल्लेख महाभारत में है। इसी से इसकी ऐतिहासिकता का अंदाजा लगा सकते हैं। किसी भी चीज की खरीदारी की जा सकती है। सिर्फ विवाह मना है बिल्कुल मना है। हां इस माह में बिस्तर खाट या बेड खरीदने की मनाही है। सुशील सिंह के मुताबिक अधिक मास में दान का विशेष महत्व बताया गया है। अधिक मास में तिथिवार दान का फल बताया गया है। अधिक मास में दीपदान करना शुभ माना गया है। इसके अतिरिक्त धार्मिक पुस्तकों का दान भी शुभ बताया गया है। अधिक मास के प्रथम दिन प्रतिपदा तिथि है इस दिन घी का दान श्रेष्ठ फलदायी बताया गया है।

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