शà¥à¤°à¥€à¤ªà¤‚च दशनाम जूना आनंद à¤à¥ˆà¤°à¤µ अखाड़ा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संचालित पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को ऋषिकेश से रातà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤°à¤¾à¤® के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के साथ लाखामणà¥à¤¡à¤² के लिठरवाना हो गयी।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°à¥¤ शà¥à¤°à¥€à¤ªà¤‚च दशनाम जूना आनंद à¤à¥ˆà¤°à¤µ अखाड़ा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संचालित पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को ऋषिकेश से रातà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤°à¤¾à¤® के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के साथ लाखामणà¥à¤¡à¤² के लिठरवाना हो गयी। जूना अखाड़े के साधà¥-संतो नागा सनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की जमात के साथ छड़ी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– महंत व अखाड़ा के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥€à¤¯ सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤® गिरि,छड़ी महंत शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤·à¥à¤•à¤°à¤—िरि,शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त शिवदतà¥à¤¤ गिरि के नेतृतà¥à¤µ में पवितà¥à¤° छड़ी तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤£à¥€ घाट शोà¤à¤¾à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ के रूप में पहà¥à¤šà¥€,जहां पर माॅ गंगा की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर छड़ी को सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कराया गया। यहा से छड़ी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ सोमेशà¥à¤µà¤° महादेव मनà¥à¤¦à¤¿à¤°,वनखंडी महादेव,चनà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव,तारामनà¥à¤¦à¤¿à¤°,मायाकà¥à¤£à¥à¤¡ आतà¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आशà¥à¤°à¤® आदि देव सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ करते हà¥à¤ पौराणिक पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤°à¤¤ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पहà¥à¤šà¥€,जहां मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के महंत वरूण पà¥à¤°à¤ªà¤¨à¥à¤¨ शरà¥à¤®à¤¾ के सानिधà¥à¤¯ में छड़ी की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की गयी। जà¥à¤žà¤¾à¤¤ रहे कि पवितà¥à¤° छड़ी को गà¥à¤°à¥‚वार शाम को मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° सिंह रावत ने मायादेवी मनà¥à¤¦à¤¿à¤° हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से विधिवत पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर पूरे उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ तथा चारो धामों की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठरवाना किया। जूना अखाड़े के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संरकà¥à¤·à¤• शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त हरिगिरि महाराज ने बताया कि पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ छड़ी आज दोपहर बाद महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ तीरà¥à¤¥ लाखामणà¥à¤¡à¤² पहà¥à¤šà¥€à¥¤ यह वही तीरà¥à¤¥ है जहां पांडवों ने कौरवों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤¤ लाकà¥à¤·à¤¾à¤—ृह में विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया था,जिसे पांडवों को मार डालने के उददेà¥à¤¶à¥à¤¯ से शकà¥à¤¨à¤¿ के कहने पर जला दिया गया था। लेकिन विदà¥à¤° की नीति के चलते पांडव बच निकलने में सफल रहे थे। लाखामणà¥à¤¡à¤² में छड़ी पूजन का गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ ने पूरे शà¥à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾ à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ के साथ पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की।