पंडित जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ शांडिलà¥à¤¯ 'दिवà¥à¤¯' की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ' शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤•à¥à¤¤ नव छंद शà¥à¤°à¥€ 108' का विमोचन शिकà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ ,साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ और कविता पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच à¤à¤¸ à¤à¤® जे à¤à¤¨ पीजी कॉलेज के पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ सà¥à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हिंदी साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° डॉकà¥à¤Ÿà¤° अशोक मिशà¥à¤°à¤¾ और डॉकà¥à¤Ÿà¤° हरिनंदन ने संयà¥à¤•à¥à¤¤ रूप से किया।
रिपोर्ट -
शांडिलà¥à¤¯à¤œà¥€ हिंदी शैली के दिवà¥à¤¯ लेखक हैं-डॉ अशोक मिशà¥à¤° हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° 17 सितंबर ।पंडित जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ शांडिलà¥à¤¯ 'दिवà¥à¤¯' की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ' शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤•à¥à¤¤ नव छंद शà¥à¤°à¥€ 108' का विमोचन शिकà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ ,साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ और कविता पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच à¤à¤¸ à¤à¤® जे à¤à¤¨ पीजी कॉलेज के पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ सà¥à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हिंदी साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° डॉकà¥à¤Ÿà¤° अशोक मिशà¥à¤°à¤¾ और डॉकà¥à¤Ÿà¤° हरिनंदन ने संयà¥à¤•à¥à¤¤ रूप से किया। इस मौके पर मà¥à¤–à¥à¤¯ अतिथि डॉ अशोक मिशà¥à¤°à¤¾ ने कहा कि जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचित लगà¤à¤— 30 पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ समाज को à¤à¤• नई दिशा पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर रही हैं। उनकी नव रचित पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤•à¥à¤¤ नवछंद शà¥à¤°à¥€ 108 पिरामिड हिंदी कावà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¤• नवीनतम पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ है। यह विधा अà¤à¥€ गिने-चà¥à¤¨à¥‡ लोगों ने ही अपनाई है और इसमें जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ जी के दो शिषà¥à¤¯ नीता नैयर à¤à¤µà¤‚ बी. à¤à¤š . ई. à¤à¤² से सेवानिवृतà¥à¤¤ हà¥à¤ जगदीश शरà¥à¤®à¤¾ 'शेषी ने पिरामिड कविता की शैली को आगे बढ़ाने का पà¥à¤°à¤¶à¤‚सनीय कारà¥à¤¯ किया है। मंच का संचालन करते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ कवि रमेश रमन ने अमीर खà¥à¤¸à¤°à¥‹ और अनà¥à¤¯ कवियों जैसे केशवदास दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचित अंगद रावण संवाद, रविंदà¥à¤° नाथ ठाकà¥à¤° के महाकावà¥à¤¯ की चरà¥à¤šà¤¾ की। विशिषà¥à¤Ÿ अतिथि डॉ हरिनंदन ने कहा कि जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ जी की शैली अदà¥à¤à¥à¤¤ है ।अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ के कवि बेन जॉनसन को उदà¥à¤§à¥ƒà¤¤ करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि सà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤² इस द मैन अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ लिखने की शैली ही इंसान को उसकी अपनी पहचान देती है और जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ जी का पूरा जीवन जो साहितà¥à¤¯ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है। उनकी इस पिरामिड कावà¥à¤¯ की वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ सहित शैली से और रचनाकार लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होंगे। हिंदी कावà¥à¤¯ को à¤à¤• नया रूप देने में वे सफल हà¥à¤ है।उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सूरà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤‚त तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी निराला के साथ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पहले किया गया à¤à¤• साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° का अनà¥à¤à¤µ à¤à¥€ साà¤à¤¾ किया। साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° नीता नैयर ने कहा ये विधा फेसबà¥à¤• पर पहले से चल रही थी ,पर शासà¥à¤¤à¥à¤° समà¥à¤®à¤¤ विधान से लिखने व पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करने का काम जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ जी के हाथों हà¥à¤† । इस विधा में उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड से छपने वाली यह तीसरी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• है। इस विधा पर पहली पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• शेषी जी की थी । दूसरी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के रचनाकार नीता नयà¥à¤¯à¤° , शेषी जी व शांडिलà¥à¤¯ जी संयà¥à¤•à¥à¤¤ रूप से थे । इस अवसर पर साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° डॉ राधिका नागरथ, साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° रमेश रमन ,नीता नैयर ,जगदीश शरà¥à¤®à¤¾ शेषी को अंग वसà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¥‡à¤‚ट कर समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया। इस अवसर पर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ लेखिका, चिंतक, विचारक, साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° ,इतिहासकार ,पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° डॉ राधिका नागरथ ने कहा कि साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° का जीवन बहà¥à¤¤ कषà¥à¤Ÿ à¤à¤°à¤¾ और संघरà¥à¤·à¥‹à¤‚ वाला होता है । साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° समाज का दरà¥à¤ªà¤£ होता है , जो समाज में घटता है, वह उसे अपने साहितà¥à¤¯ में अपने दिवà¥à¤¯ शैली के साथ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पंडित जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ शांडिलà¥à¤¯ को आधà¥à¤¨à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की संजà¥à¤žà¤¾ दी। इस अवसर पर डॉकà¥à¤Ÿà¤° नरेश मोहन, à¤à¤²à¤ªà¥€ सिंह, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¦à¥‡à¤µ शांडिलà¥à¤¯ पाइन कà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥à¤Ÿ सà¥à¤•à¥‚ल के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ समेत गणमानà¥à¤¯ नागरिक साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे । जाने-माने साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° पंडित जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ शांडिलà¥à¤¯' दिवà¥à¤¯' की नई पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का विमोचन करते साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°