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शिक्षा मंत्रालय एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा "राष्ट्रीय विरासत एवं नागरिकों की जिम्मेदारी" 'आयोजित किया।


हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय ने भारतीय संविधान के 70 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पिछले वर्ष 29 नवंबर 2019 से वर्षभर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में संविधान के मौलिक कर्तव्यों पर आधारित कार्यक्रम "राष्ट्रीय विरासत एवं नागरिकों की जिम्मेदारी" 'आयोजित किया।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय ने भारतीय संविधान के 70 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पिछले वर्ष 29 नवंबर 2019 से वर्षभर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में संविधान के मौलिक कर्तव्यों पर आधारित कार्यक्रम "राष्ट्रीय विरासत एवं नागरिकों की जिम्मेदारी" 'आयोजित किया। जिसमें गढ़वाल विश्वविद्यालय के 'हिमालयन पुरातत्व एवं नृवंशीय संग्रहालय ' पर बनाई गई एक डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई । इन कार्यक्रमों के अन्तर्गत प्रत्येक माह संविधान में वर्णित 11 मौलिक कर्तव्यों में से एक कर्तव्य पर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है इसमें इससे पहले पोस्टर प्रतियोगिता ,स्लोगन लेखन ,प्रदर्शनी ,वर्कशॉप तथा राज्यस्तरीय वाद-प्रतिवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया गया , यह डॉक्यूमेंट्री इसी कड़ी में यह कार्यक्रम था । इस कार्यक्रम के उत्तराखण्ड राज्य नोडल अधिकारी ,संयोजक एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एम एम सेमवाल ने इस कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत करते हुए कहा कि संविधान हमारा पवित्र दस्तावेज है जिसमें मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य वर्णित हैं किंतु मौलिक कर्तव्यों के प्रति अपनी चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने विशेष तौर से युवा पीढ़ी में मौलिक कर्तव्यों के प्रति संवेदनहीनता की तरफ श्रोताओं के ध्यान आकृष्ट किया करते हुए संवेदनशील ,जागरूक तथा संवैधानिक नागरिक बनने की सलाह दी जिसमें ना सिर्फ एक नागरिक के रूप में मौलिक अधिकारों वरन मौलिक कर्तव्यों के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी समझने का उन्होंने आग्रह किया । अपनी सांस्कृतिक धरोहरों के रक्षण-संरक्षण के कर्तव्यों के निर्वहन का भी आह्वान करते हुए उन्होंने इन कर्तव्यों को अपने आचार-विचार एवं व्यवहार में उतारने का भी संदेश दिया । इसके पश्चात इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो एस एस नेगी ने विस्तृत रूप से अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने विरासतों तथा धरोहरों के संरक्षण पर जोर देते हुए इसपर सरकार द्वारा बनाये गए विभिन्न कानूनों की जानकारी दी साथ ही भारत सरकार एवं यूनेस्को जैसी संस्थाओं के कार्यों पर भी प्रकाश डाला । इस संदर्भ में उन्होंने उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में भी विशेष उल्लेख करते हुए यहां मौजूद राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय महत्त्व के पुरातत्व स्थलों का भी उल्लेख किया इसमें से नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान , फूलों की घाटी कुम्भ मेले तथा रम्माण मेले का विश्व विरासत सूची में जुड़ने का भी उल्लेख उन्होंने किया । गढ़वाल विश्वविद्यालय के संग्रहालय के विषय में भी उन्होंने सारगर्भित जानकारी श्रोताओं को दी । उन्होंने कहा कि प्रत्येक समाज और देश के लिए उसकी विरासत अमूल्य होती है। यह हमारी संस्कृति का दर्पण है, भारत में बहु आयामी विरासत निहित है। उन्होंने कहा कि कई स्मारक अज्ञात एवं असुरक्षित है। इन को सुरक्षित करने की जरूरत है। इन अमूल्य विरासतों को सुरक्षित करने के लिए सरकार को चाहिए इनके संरक्षण, संवर्धन एवं प्रचार के लिए इन्हें संरक्षित किया जाए। साथ ही उन्होंने संग्रहालय की प्रत्येक वस्तु पर अपनी शोधपूर्ण जानकारी दी ।

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