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प्रतिबंधित होते हुए भी हर की पौड़ी, सुभाष घाट पर बहती है शराब की धार


विश्वविख्यात तीर्थ नगरी हरिद्वार में शराब एवं मादक पदार्थों से मुक्त है और कांउनु अपराध भी लेकिन हमारे पुलिस एवं नेताओं की मिलीभगत से हर की पौड़ी, सुभाष घाट,रोड़ी बेलवाला, पंतदीप पार्किंग मैं धड़ल्ले से शराब की बिक्री हो रही है।

रिपोर्ट  - 

विश्वविख्यात तीर्थ नगरी हरिद्वार में शराब एवं मादक पदार्थों से मुक्त है और कांउनु अपराध भी लेकिन हमारे पुलिस एवं नेताओं की मिलीभगत से हर की पौड़ी, सुभाष घाट,रोड़ी बेलवाला, पंतदीप पार्किंग मैं धड़ल्ले से शराब की बिक्री हो रही है। जिससे आने वाले लाखों करोड़ों श्रद्धालु आरती देखने के बाद सुभाष घाट से जाते हैं तो यह शराब की बोतलें उनके पैरों में आती हैं और उन्हें इस तीर्थ नगरी की सच्चाई सामने नज़र आ जाती है कि यहां पर गंगा की धारा के साथ-साथ शराब की धारा भी बहती है। यह देख कर श्रद्धालुओं की भावनाओं को इस तीर्थ नगरी की मान मर्यादा एवं पवित्रता तार-तार होती नजर आती है । इतनी बड़ी तीर्थ नगरी और शराब ऐसे बिकती है । यात्री सोचते हैं कि हम यहां पर गलत आ गए हैं क्योंकि यहां गंगा की धारा से अधिक शराब की धारा अधिक बहती नजर आती है उनकी भावनाओं को बहुत ठेस पहुंचता है। सरकार एवं प्रशासन शराबबंदी को लेकर जगह-जगह गोष्ठियों में बड़े-बड़े दावे करता है और लोगों को जागरूक करने का नाटक करता है जबकि सच्चाई कुछ और ही नजर आती है जब प्रतिबंधित क्षेत्र में भी शराब धड़ल्ले से बिक रही हो तो आप सोच सकते हैं सरकार एवं प्रशासन कितना चिंतित है जो एक विश्व विख्यात हर की पौड़ी पर ही शराब पर अंकुश लगाना नाकाम साबित हो रहा है जबकि यह क्षेत्र स्थानीय मंत्री का है उसके बावजूद भी हर की पौड़ी पर ही शराब की नदियां बह रही हैं जिसका जीता जागता स्नान घाटों पर पड़ी अंग्रेजी शराब की बोतलें जो गुजरने वाले श्रद्धालुओं के पैरों में आ रही हैं जो समाचार के साथ चित्रों में देख सकते हैं की लोग गंगा में ही शराब की बोतलों को ठंडा कर आराम से पी रहे हैं और वह तो लोगों शराब की बोतलों को वही छोड़कर निकल जाते हैं अब आप इससे अंदाजा लगा सकते हो कि तीर्थ नगरी हरिद्वार में जोकि यहां पर शराब, मांस, मछली, अंडा किसी भी प्रकार का मादक पदार्थों का सेवन करना कानूनन अपराध है उसके बावजूद भी यहां पर धड़ल्ले से बिक रहा है और लोग किस तरह से निडरता से पीकर यहां के प्रशासन और सरकार को अंगुठा दिखा रहे हैं जिसकी फिक्र ना तो प्रशासन को है और ना ही सरकार को।

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