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हरिद्वार तैनात फिजिशियन अपनी कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में है, वरिष्ठ पत्रकार ने केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव, केन्द्रीय गृह सचिव को पत्र लिख कर की शिकायत


तैनात फिजिशियन अपनी कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में है। उनपर अपनी मनमर्जी से काम करने और अडियल रवैये अपनाने के आरोप है। उन पर शासन-प्रशासन और अपने अधिकारियों के आदेश न मानने के भी आरोप लग रहे हैं। जबकि शासनादेश हैं कि कोई चिकित्सक अपनी तैनाती जनपद के मुख्यालय में ही निवास करेगा|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। कोरोना काल में निजी हो या फिर सरकारी अस्पताल वहां तैनात चिकित्सक सहित स्टाॅफ दिन रात मरीजों की सेवा में जुटे है। लेकिन अगर जिला अस्पताल हरिद्वार की बात करे तो वहां तैनात फिजिशियन अपनी कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में है। उनपर अपनी मनमर्जी से काम करने और अडियल रवैये अपनाने के आरोप है। उन पर शासन-प्रशासन और अपने अधिकारियों के आदेश न मानने के भी आरोप लग रहे हैं। जबकि शासनादेश हैं कि कोई चिकित्सक अपनी तैनाती जनपद के मुख्यालय में ही निवास करेगा, लेकिन इस महाशय ने तो शासनादेश को ही रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। जिला अस्पताल में तैनात फिजिशियन अपने हिसाब से चलते है और देहरादून से रोजना अपडाउन करते है। शहर के वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रकाश चौहान के साथ फिजिशियन द्वारा अभद्रता पूर्ण व्यवहार करने और अडियल रवैये अपनाने के भी आरोप है। जबकि वरिष्ठ पत्रकार की बाईपास सर्जरी हो रखी है। उनके प्रति फिजिशियन का ऐसा व्यवहार हैरान व परेशान करने वाला है। फिजिशियन की शिकायत वरिष्ठ पत्रकार की ओर से केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव, केन्द्रीय गृह सचिव, स्वास्थ्य महानिदेशक उत्तराखण्ड सहित अन्य को पत्र भेजकर की गयी है। बताया तो यह भी जा रहा हैं कि फिजिशियन पर मेला अस्पताल के कोविड-19 का भी चांज भी हैं, जिससे उनकी जिम्मेदारी ओर भी बढ जाती है। लेकिन उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पडता की उनकी गैरमौजूदगी से किसी मरीज की जान जाती हैं तो चली जाए। लेकिन उन्हें तो अपने हिसाब से चलना है। उनकी इस कार्यशैली से अदांजा लगाया जा सकता है कि फिजिशियन मरीजों के प्रति कितनी कर्मठता व कतव्यनिष्ठा से काम कर रहे हैं। आरोप हैं कि उनके द्वारा मरीजों के प्रति बिलकुल भी ईमानदारी नहीं दिखाई जा रही है। उनके सामने शासन-प्रशासन और अपने उच्चाध्किारियों के आदेश-निर्देश कोई मायने नहीं रखते। आरोप हैं कि अस्पताल का स्टाॅफ भी उनके कार्यशैली से नाखुश है, लेकिन स्टाॅफ का मामला होने के कारण खुलकर कुछ बोलने से बच रहा है। फिजिशियन द्वारा शासनादेश को रद्दी की टोकरी में डालकर रोजना देहरादून अपने घर अपडाउन कर रहे है। इसी बीच अगर कोई गम्भीर मरीज जिला अस्पताल में पहुंचता हैं जिसका उपचार फिजिशियन द्वारा होना हैं या फिर मेला अस्पताल के कोविड-19 सेंटर में भर्ती पाॅजिटीव मरीज की हालत बिगड़ती है, तो आप अंदाजा लगा सकते हैें कि वहां स्टाॅफ की स्थिति क्या होगी? उनके पास मरीज को रेफर करने के अलावा कोई चारा नहीं होगा। इस स्थिति में अगर समय पर मरीज को उचित उपचार न मिल पाया तो उसकी जान भी जा सकती है। सीएमओ डॉ.शम्भू कुमार झा से इस मामले में उनका बयान लेने का प्रयास किया गया तो फोन नहीं उठ सका।

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