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सनातन धर्म की रक्षा करना ही धर्माचार्यो का प्रथम कर्तव्य- योगिनी माँ राजनन्देश्वरी जी


शुक्रताल के श्री बाला जी योग विज्ञान अनुसंधान आश्रम में योगिराज स्वामी प्रकाशानन्द जी महाराज और योगिनी माँ राजनन्देश्वरी जी के पावन सानिध्य में सनातन धर्म की रक्षा,सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण और सनातन धर्म को मानने वालो की संतान की रक्षा और सनातन धर्म के शत्रुओं के समूल नाश की कामना से हो रहे नौ दिवसीय श्री शिवशक्ति महायज्ञ

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

आज 29 सितम्बर 2020 को शुक्रताल के श्री बाला जी योग विज्ञान अनुसंधान आश्रम में योगिराज स्वामी प्रकाशानन्द जी महाराज और योगिनी माँ राजनन्देश्वरी जी के पावन सानिध्य में सनातन धर्म की रक्षा,सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण और सनातन धर्म को मानने वालो की संतान की रक्षा और सनातन धर्म के शत्रुओं के समूल नाश की कामना से हो रहे नौ दिवसीय श्री शिवशक्ति महायज्ञ की आज पूर्णाहुति सम्पन्न हुई।महायज्ञ में अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चन्द्रप्रकाश कौशिक सहित बड़ी संख्या में साधु संतों ने आहुति समर्पित की। महायज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर आशीर्वचन प्रदान करते हुए योगिनी माँ राजनन्देश्वरी जी ने कहा की सम्पूर्ण विश्व में सनातन धर्म से बढ़कर कुछ भी नहीं है।सनातन धर्म की रक्षा करना ही धर्मगुरुओ और धर्माचार्यो का प्रथम कर्तव्य है क्योंकि सनातन धर्म के विनाश का अर्थ है सम्पूर्ण मानवता और अच्छाई का विनाश हो जाना।आज दुनिया की बहुत सी बुरी शक्तियां हमारी दया और हमारी अहिंसा को हमारी कमजोरी और हमारी कायरता समझ कर हमें मिटाने पर लग गयी हैं परन्तु यह उनकी भूल है।सनातन धर्म मे समय समय पर श्रीराम,श्रीकृष्ण,भगवान परशुराम और आचार्य चाणक्य,महाराणा प्रताप, शिवाजी, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे महापुरुष अवतरित होते हैं जो हर सनातनी को अपने जैसा अजेय योद्धा बना देते हैं और अन्याय व अत्याचार से मानवता की रक्षा करते हैं।हमारे एक एक धर्मगुरु और धर्माचार्य में अन्याय और अत्याचार से लड़ने की शक्ति है।अब उन्हें धर्म की रक्षा के लिये खड़ा हो जाना चाहिये अन्यथा धर्म उन्हें कभी क्षमा नहीं करेगा। उन्होंने यह भी कहा की अगर सनातन धर्म की रक्षा के लिये उन्हें प्राण भी देने पड़े तो वो इसके लिये बिल्कुल तैयार हैं। अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक यति नरसिंहानंद सरस्वती जी ने इस अवसर पर कहा की माँ गंगा के तट पर होने वाला यह महायज्ञ सनातन धर्म के इतिहास में अमिट छाप छोड़ेगा क्योंकि जब भी कोई मानव धर्म की रक्षा के लिये देवाधिदेव भगवान महादेव शिव व जगद्जननी माँ जगदम्बा की शरण मे गया है तो उन्होंने धर्म की रक्षा की है।आज हम भी धर्म की रक्षा के लिये माँ और महादेव की शरण में हैं और मुझे पूर्ण विश्वास है की माँ हमारी अवश्य ही धर्म की रक्षा करेंगी और सनातन वैदिक राष्ट्र बन कर रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि हर सनातन धर्मावलम्बी को यदि इजरायल की तरह अपना सनातन वैदिक राष्ट्र बनाना है तो अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने पड़ेंगे।आज भारतवर्ष में चल रहे इस्लामिक जिहाद का सबसे महत्वपूर्ण हथियार जनसँख्या ही है।यदि हम इस जनसंख्या के युद्ध मे हार गए तो स्वयं महादेव भी अवतार लेकर हमें बचा नहीं सकेंगे क्योंकि वो कभी भी कायरो, अकर्मण्यो और धर्मविहीन लोगो की रक्षा नहीं करते। अतः अपने अस्तित्व को बचाने के लिये हिन्दू अधिक से अधिक बच्चे पैदा करे। उन्होंने सनातन वैदिक राष्ट्र के महान लक्ष्य के लिये सन्तो से भी सहयोग का आग्रह करते हुए कहा कि अब समय है जब हिन्दुओ के हर मठ,मन्दिर और देवस्थान को आधुनिक गुरुकुल में परिवर्तित कर दिया जाए जहाँ हर हिन्दू बच्चे को निशुल्क अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके। उन्होंने वहाँ उपस्थित भक्त समुदाय को सनातन वैदिक राष्ट्र की स्थापना और अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने की शपथ भी दिलाई। यज्ञ पुरोहित पण्डित सनोज शास्त्री जी ने विद्वान ब्राह्मणों तथा बालयोगी ज्ञाननाथ जी महाराज,यति सत्यदेवानंद सरस्वती,यति शिवानन्द सरस्वती जी के साथ महायज्ञ को सम्पन्न कराया। महायज्ञ में चँद्रमा ब्रह्मचारी, समाजसेवी राजू सैनी,समाजसेवी योगेंद्र वर्मा,शिव सेना जिलाध्यक्ष बिट्टू सिखेड़ा,संदीप जिंदल,हिन्दू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष योगेंद्र वर्मा,बहन शालू सैनी,बहन स्नेहलता,बहन निक्की त्यागी,चौधरी वेदवीर जी,पुष्पेंद्र पण्डित जी,प्रदीप पण्डित जी,सुभाष सैनी,अशोक अनुज,राकेश जी,प्रवीण गोयल,प्रमोद बंसल,नवीन कश्यप पेलु की सक्रिय भूमिका रही।

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