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पौड़ी गढ़वाल में राष्ट्रपिता महात्मा गाॅधी, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर कलेक्ट्रेट में ध्वज फहराया


जनपद पौड़ी गढ़वाल में राष्ट्रपिता महात्मा गाॅधी तथा देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती आज 2 अक्टूबर 2020 को जनपद भर समस्त कार्यालयों, भवनों में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के अनुसार सादगी से मनायी गयी।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

जनपद पौड़ी गढ़वाल में राष्ट्रपिता महात्मा गाॅधी तथा देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती आज 2 अक्टूबर 2020 को जनपद भर समस्त कार्यालयों, भवनों में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के अनुसार सादगी से मनायी गयी। प्रभारी जिलाधिकारी/मुख्य विकास अधिकारी आशीष भटगांई ने विकास भवन परिसर में ध्वज फहराया। जबकि जिलाधिकारी कार्यालय कलेक्ट्रेट परिसर में अपर जिलाधिकारी डा0 एस.के. बरनवाल ने ध्वज फहराया तथा गाॅधी जी व लाल बहादुर शास्त्री के चित्रों का अनवारण कर, माल्यार्पण एवं श्रद्धा सुमन अर्पित कर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। वहीं गांधी पार्क कण्डोलिया में नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम व अपर जिलाधिकारी डा0 एस.के. बरनवाल, उपजिलाधिकारी श्याम सिह राणा, अ0अ0 नगर पालिका प्रदीप बिष्ट सहित अन्य गणमान्य ने गाॅधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस मौके पर संस्कृति विभाग एवं राजकीय बालिका इंटर कॉलेज पौड़ी की छात्राओं द्वारा गांधी जी के प्रिय भजनों की सुंदर प्रस्तुति दी गई। अपर जिलाधिकारी ने महात्मा गांधी जी जीवन मूल्य पर प्रकाश डालते हुए कहां की गरीबी से उठकर उच्च शिखर पर पहुंचना शायद भारत की परंपरा रही है। कहां की गांधी जी ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा में लगा दिया। उनका पूरा जीवन ही स्वयं में एक इतिहास है। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी जी ने बचपन से लेकर 1920 तक के अपने संघर्ष को एक आत्मकथा के रूप में लिखा है, जो कि अंग्रेजी में लिखा गया है और जिसका हिंदी रूपांतरण है सत्य के प्रयोग। कहा की अच्छाई सब जानते हैं, किंतु नकारात्मक पक्ष कोई नहीं जानता, जबकि महात्मा गांधी जी ने अपनी इस आत्मकथा में नकारात्मक पक्षों को भी लिखा है और बताया कि किस तरह प्रयोग करते हुए सत्य के दिशा में बढ़ते गए। अपर जिलाधिकारी ने कहा कि गांधी जी 9 जनवरी 1915 दक्षिण अफ्रीका से भारत आए, इसलिए 9 जनवरी को अंतराष्ट्रीय प्रवासी दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जी ने कई संघर्षों के बाद भी अपना आत्मबल नहीं खोया और आगे बढ़ते गए। कहा कि हमें उनके विचार, आदर्श अपने जीवन में उतारने चाहिए और छोटी-छोटी कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जी और लाल बहादुर शास्त्री जी के विचार, उनके आदर्श, जीवन जीने का मूल्य आदि हमारे लिए धरोहर है।

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