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हे0न0ब0ग0वि0वि0 में महात्मा गांधी की 151 वीं जयंती पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेविनार का आयोजन


हेमवती नंदन बहुगुणा गढवाल विश्वविद्यालय ने महात्मा गांधी की 151 वीं जयंती के अवसर पर 'महिला अध्ययन केंद्र' एवं राजनीति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 'शांति शिक्षा एवं मानवता के भविष्य' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेविनार का आयोजन किया गया।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नंदन बहुगुणा गढवाल विश्वविद्यालय ने महात्मा गांधी की 151 वीं जयंती के अवसर पर 'महिला अध्ययन केंद्र' एवं राजनीति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 'शांति शिक्षा एवं मानवता के भविष्य' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेविनार का आयोजन किया गया। जिसमें वर्तमान परिदृश्य में इसके विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की गई। इस कार्यक्रम का उद्घाघाटन करते हुए महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक एवं राजनीति विज्ञान विभाग में प्रोफ़ेसर हिमांशु बौड़ाई ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओं का परिचय एवं उनका स्वागत अभिभाषण देते हुए वर्तमान सन्दर्भों में गांधी एवं टैगोर की शिक्षाओं को याद किया साथ ही उन्होंने नए युद्धों तथा संघर्षों के बीच शांति शिक्षा व संस्कृति की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि शांति शिक्षा सिर्फ कूटनयिक व्यक्तियों तथा सैनिकों तक ही सीमित होकर रह गयी है जबकि इसे राजनीति तथा अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों के केंद्र में आना चाहिए यही कारण है कि अमेरिका ,यूरोपीय संघ के देश तथा अन्य विकासशील देश भी शान्ति शिक्षा को अपने पाठ्यक्रमों में शामिल कर रहे हैं ।शान्ति के समक्ष उत्पन्न खतरे से नागरिक स्वतंत्रता,समानता,अधिकार,आर्थिक एकीकरण पर गम्भीर खतरा उपन्न हो गया है अतः हमें शांति शिक्षा को प्राथमिकता में रखते हुए आज समूची दुनिया में शांति के नायक ,शान्ति शिक्षा तथा इसकी प्राप्ति के लिए सामुहिक प्रयासों की आवश्यकता है । कार्यक्रम की पहली वक्ता इंडोनेशिया की पूर्व चुनाव आयुक्त एवं सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज, इंडोनेशिया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में सीनियर शोधकर्ता डॉ श्री नूरयंति ने अपने उदबोधन को शुरू करते हुए महात्मा गांधी और इंडोनेशिया की राजनैतिक ,सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा वैचारिक समानता को स्थापित करते हुए इंडोनेशिया के प्रतीक गरुड़ एवं उसके अंगों का आशय स्पष्ट किया। गरुड़ को उन्होंने भारतीय महाकाव्य में वर्णित भगवान विष्णु के समान बताया तथा कहा कि इस संदर्भ में इंडोनेशिया पंचशील सिद्धांत मानता है । उन्होंने इंडोनेशिया की आजादी से आज तक विभिन्न सन्दर्भों में इसका वर्णन किया, इसमें इंडोनेशिया को समृद्ध राष्ट्र बनाना, अनेकता में एकता स्थापित करना, सभी मान्यता प्राप्त 6 धर्मों को समान अवसर देना, मानवता में विश्वास करना तथा पर्यावरण से अपनी आवश्यकता अनुसार ग्रहण करना इत्यादि बातों का उल्लेख किया साथ ही उन्होंने इंडोनेशिया की विविधता का सूक्ष्म विवरण देते हुए कहा जैसे महात्मा गांधी एवं भारत विविधता में एकता की धारणा में विश्वास करते हैं यही मत इंडोनेशिया का भी है। शांति, शिक्षा परिवार, विद्यालय और समाज के माध्यम से एक उत्तरोत्तर प्रक्रिया के द्वारा दी जा सकती है। इसके बाद दूसरे वक्ता के रूप में प्रो नरेश दाधीच, पूर्व कुलपति वर्धमान महावीर विश्विद्यालय कोटा,ने वर्तमान संदर्भ में शांति शिक्षा के महत्व को विभिन्न सन्दर्भों में रेखांकित किया ,उन्होंने कहा कि आज व्यवस्था आत्म केंद्रित हो गई है जबकि हमें मानव केंद्रित होने की आवश्यकता है उन्होंने संपूर्ण मानवतावाद को शिक्षा का आधार बताया जिसके दो पहलू हैं - सकारात्मक शांति एवं नकारात्मक शांति। नकारात्मक शांति सिर्फ संघर्षों के अभाव की स्थिति है जो कि सीमित अर्थों में प्रयुक्त की जाती है जबकि सकारात्मक शांति संपूर्ण अर्थों में प्रयोग होने वाला व्यापक विचार है जिसमें न्याय,स्वतंत्रता ,बंधुत्व ,अधिकार और लोककल्याणकारी राज्य जैसे विचार शामिल हैं । शांति शिक्षा के तत्वों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें ,शांति शिक्षा का परिभाषीकरण,शांति शिक्षा के तत्व महात्मा गांधी के केंद्रीय विचार अहिंसा, संघर्ष समाधान , मानवाधिकार अधिकार शिक्षा, पर्यावरण शिक्षा एवं पर्यावरण से मानव संबंध, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का ज्ञान तथा संरचनात्मक हिंसा को समझना शामिल है । इस प्रकार प्रोफेसर दाधीच ने शांति शिक्षा को स्व के अर्थ से मुक्त करते हुए मानवतावादी विचार के व्यापक अर्थ में प्रस्तुत किया । कार्यक्रम का समापन तथा धन्यवाद ज्ञापित करते हुए राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो एम एम सेमवाल ने कहा कि जिस प्रकार से समूची मानव जाति एक खतरे के रूप में मानवता संकट से जूझ रही है इसमें शांति शिक्षा तथा महात्मा गांधी के विचार संजीवनी की भांति हैं जिन्हें व्यापक रूप से पोषित किया जाना चाहिये। इस कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा मनस्वी सेमवाल ने किया .आयोजन समिति के सचिव डॉ राकेश सिंह नेगी,मनस्वी सेमवाल, लूसी लोहिया तथा शुभम कुमार उपस्थित रहे । इस अवसर पर देशभर के 184 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया था. देश के विभिन्न विश्विविद्यालयों के शिक्षक एवं शोधार्थी जुड़े ।

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