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"बाल शिक्षा  में मौलिक कर्तव्यों  के रूप में  अभिभावकों  की भागीदारी " विषय पर श्रीनगर वि0वि0 में एक कार्यशाला  का आयोजन


संविधान दिवस की 70 वी  वर्षगांठ  पर साल भर आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला में  "बाल शिक्षा  में मौलिक कर्तव्यों  के रूप में  अभिभावकों  की भागीदारी "  विषय पर एक कार्यशाला  का आयोजन  किया गया।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

संविधान दिवस की 70 वी  वर्षगांठ  पर साल भर आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला में  "बाल शिक्षा  में मौलिक कर्तव्यों  के रूप में  अभिभावकों  की भागीदारी "  विषय पर एक कार्यशाला  का आयोजन  किया गया। कार्यक्रम में  मुख्य अतिथि माननीय कुलपति  प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल  ने कहा कि समाज में काफी सारी चुनौतियां हैं और  इन चुनौतियों से जूझने का रास्ता हमे संविधान दिखाता  है । उन्होंने आयोजन समिति की प्रशंसा करते हुए कहा कि कोविड 19 के दौर में इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय स्तर पर पहले पायदान पर पहुंचाने के लिए यह टीम बधाई की पात्र है. इस आयोजन समिति ने कर्तव्य पालन करने का सर्वोत्तम नमूना पेश किया है. राजनीति विज्ञान विभाग के  अध्यक्ष एवं राज्य नोडल अधिकारी प्रोफेसर एमएम सेमवाल में कहा कि शिक्षा, संवेदनशील नागरिक बनाने का सर्वोत्तम साधन है. शिक्षा ही ऐसे नागरिकों का निर्माण करती है जो बेहतर समाज बना सकते हैं और देश की उन्नति में अपना योगदान दे सकते हैं | एन. सी. ई. आर. टी  से प्रोफ़ेसर  ऊषा शर्मा  ने कहा कि शिक्षा  मानव निर्माण की प्रक्रिया है । आज शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और इसमें सबकी साझा जिम्मेदारी है। विज्ञानशाला की मुख्य कार्याधिकारी एवं फाउंडर डॉ  दर्शना जोशी  ने कहा कि एक बच्चे के व्यक्तित्व विकास में पूरे गांव वृहद समाज की भागीदारी होती है हम सभी इस समाज का हिस्सा है आता हमें बच्चों की शिक्षा पर विशेष अपने अपने स्तर से सहयोग देना होगा. श्रवण सती , अध्यक्ष , शिक्षक अभिभावक संघ, चमोली ने कहा कि आज अभिभावक और शिक्षकों के बीच दो  ध्रुव  तैयार हो गए हैं । बच्चो के सर्वागीण विकास के लिए अभिभावक और शिक्षक की  संवादहीनता को  खत्म किया जाना बहुत जरूरी है . एम.एस. बिष्ट , अपर निदेशक , माध्यमिक शिक्षा , गढ़वाल    ने  कहा कि उत्तराखंड का सकल नामांकन अनुपात 104 प्रतिशत है और शिक्षा के कई और मापदंडों में उत्तराखंड राज्य राष्ट्रीय मानकों से आगे है लेकिन लैंगिक भेदभाव व जातिगत भेदभाव अभी भी मौजूद है । कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर सीमा धवन ने किया ।  आयोजन सचिव डा अरूण शेखर बहुगुणा मौजूद थे. कार्यशाला  में विभिन्न  जनपदों  के विद्यालयी शिक्षा  के प्रधानाचार्य , शिक्षक ,विद्याथियों अभिभावको ने प्रतिभाग किया ।इस मौके आयोजन सचिव डॉ अरुण शेखर बहुगुणा , डॉक्टर ज्योति तिवारी, प्रोफेसर राकेश कुवंर, प्रोफेसर  एम. एस नेगी , डॉ जे. पी. भट्ट , डॉ प्रशांत कंडारी , डॉ सर्वेश उनियाल ,  डॉ नितिन  सती , ज्योतिमौजूद थे ।

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