मानव अधिकार संरकà¥à¤·à¤£ समिति कनखल अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¾ रेखा नेगी ने करवा चौथ वà¥à¤°à¤¤ के बारे में जानकारी देते हà¥à¤ कहा कि पौराणिक साहितà¥à¤¯ के सबसे आदरà¥à¤¶ और सबसे आकरà¥à¤·à¤• यà¥à¤—ल शिव-पारà¥à¤µà¤¤à¥€ हैं |
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
मानव अधिकार संरकà¥à¤·à¤£ समिति कनखल अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¾ रेखा नेगी ने करवा चौथ वà¥à¤°à¤¤ के बारे में जानकारी देते हà¥à¤ कहा कि पौराणिक साहितà¥à¤¯ के सबसे आदरà¥à¤¶ और सबसे आकरà¥à¤·à¤• यà¥à¤—ल शिव-पारà¥à¤µà¤¤à¥€ हैं और à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पति-पतà¥à¤¨à¥€ के बीच के सारे परà¥à¤µ और तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° शिव और पारà¥à¤µà¤¤à¥€ जी से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हà¥à¤ हैं। वह परà¥à¤µ चाहे हरतालिका तीज हो, मंगलागौरी, जया-पारà¥à¤µà¤¤à¥€ हो या फिर करवा चौथ हो। अपने पति के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ और दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ के लिठकिया जाने वाला करवा चौथ का वà¥à¤°à¤¤ हर विवाहित सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के जीवन में à¤à¤• नई उमंग लाता है। कà¥à¤‚वारी लड़की अपने लिठशिव की तरह पà¥à¤°à¥‡à¤® करने वाले पति की कामना करती है और इसके लिठसोमवार से लेकर जया-पारà¥à¤µà¤¤à¥€ तक के सà¤à¥€ वà¥à¤°à¤¤ पूरी आसà¥à¤¥à¤¾ से करती है। इसी तरह करवा चौथ का संबंध à¤à¥€ शिव और पारà¥à¤µà¤¤à¥€ से है। करवा चौथ का वà¥à¤°à¤¤ तब à¤à¥€ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ था और जैसा कि शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚-पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में उलà¥à¤²à¥‡à¤– मिलता है कि यह अपने जीवन साथी के सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ और दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ होने की कामना से किया जाता था। करवा चौथ अब केवल लोक-परंपरा नहीं रह गई है। पौराणिकता के साथ-साथ इसमें आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ हो चà¥à¤•à¤¾ है और अब यह तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं पर केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ हो गया है। हमारे समाज की यही ख़ासियत है कि हम परंपराओं में नवीनता का समावेश लगातार करते रहते हैं। कà¤à¥€ करवाचौथ पतà¥à¤¨à¥€ के, पति के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समरà¥à¤ªà¤£ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हà¥à¤† करता था, लेकिन आज यह पति-पतà¥à¤¨à¥€ के बीच के सामंजसà¥à¤¯ और रिशà¥à¤¤à¥‡ की ऊषà¥à¤®à¤¾ से दमक और महक रहा है। आधà¥à¤¨à¤¿à¤• होते दौर में हमने अपनी परंपरा तो नहीं छोड़ी है, अब इसमें ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ संवेदनशीलता, समरà¥à¤ªà¤£ और पà¥à¤°à¥‡à¤® की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दिखाई देती है। दोनों के बीच अहसास का घेरा मज़बूत होता है, जो रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ करता है। लेकिन यह पति-पतà¥à¤¨à¥€ तक ही सीमित नहीं हैं। दोनों चूंकि गृहसà¥à¤¥à¥€ रूपी गाड़ी के दो पहिये है। और निषà¥à¤ ा की धà¥à¤°à¥€ से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हैं। इसलिठउनके संबंधों पर ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया जाता है। असल में तो यह पूरे परिवार के हित और कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठहै।