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आठ हजार वर्ष पुरानी सभ्यता को अपने में समेटे राखीगढ़ी से प्राप्त नमस्कार मुद्रा वाली यह दुर्लभ मूर्ति


मानव सभ्यता को भारत का 8000 साल पुराना ‘नमस्कार’

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

आठ हजार वर्ष पुरानी सभ्यता को अपने में समेटे राखीगढ़ी से प्राप्त नमस्कार मुद्रा वाली यह दुर्लभ मूर्ति विश्व को अपना वह परिचय नहीं दे सकी है,जिसके योग्य वह है।आज,जब विश्व हैंड-शेक को तज नमस्कार कर रहा है, अभिवादन का यह प्राचीनतम प्रमाण अहम हो जाता है।यह मूर्ति इस बात को भी सिद्ध कर देती है कि आर्य विदेशी नहीं थे।हरियाणा के हिसार स्थित राखीगढ़ी कस्बे में टीलों के नीचे आठ से छह हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग कुछ चरणों में खोदाई कर चुका है, जबकि कुछ का होना शेष है। यहां अब तक मिले विविध साक्ष्यों में सबसे महत्वपूर्ण है नमस्कार करते हुए योगी की मूर्ति।महत्वपूर्ण इसलिए कि सभ्यता के विकासक्रम में अभिवादन का यह साक्ष्य प्राचीनतम और दुर्लभ है। दूसरा, भारतीय योग परंपरा में वर्णित एक प्रमुख योगासन पद्मासन की मुद्रा में बैठे हुए योगी को इस प्रतिमा में अपनी दोनों हथेलियों को नमस्कार मुद्रा में जोड़े हुए दर्शाया गया है।इससे पश्चिम के विद्वानों का वह दावा औंधे मुंह गिर जाता है, जो आर्यो को विदेशी मूल का बताता आया है।यद्यपि, सभ्यता और इतिहास के इस महत्वपूर्ण पुरातात्विक प्रमाण को भारत विश्व के सम्मुख उस प्रकार नहीं रख सका, जिसकी आवश्यकता है।

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