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शराब कारखाने खोल कर के हिमालय के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़:जेपी बड़ौनी


हिमालय और हिमालय से निकलने वाली पवित्र नदियों के प्रदूषित होने के संदर्भ मी है जिस राज्य सरकार द्वारा देव भूमि उत्तराखंड एक दर्जन से अधिक शराब कारखाने खोल कर के हिमालय के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

रिपोर्ट  - 

आज हिमालय और हिमालय से निकलने वाली पवित्र नदियों के प्रदूषित होने के संदर्भ मी है जिस राज्य सरकार द्वारा देव भूमि उत्तराखंड एक दर्जन से अधिक शराब कारखाने खोल कर के हिमालय के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है सरकार का हिमालय क्षेत्र कि पवित्र नदियों के किनारे जिस प्रकार से कर रहित बिना पर्यावरण आकलन किए हुए गाड गधेरो से सीधे दूषित जल गंगा नदी में मिलने की रिपोर्ट को अनदेखा करते हुए अनुमति प्रदान की है उससे हिमालय के वायु प्रदूषण जल प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है। हिमालय से निकलने वाली मोक्ष दायिनी मां गंगा और उसकी सहायक 12 नदियों के अलावा पवित्र गाड गधेरे के मुहाने पर जिस प्रकार से राज्य सरकार की शराब पोषित नीति के चलते शराब व रासायनिक युक्त कारखाने लगाने से पवित्र नदियां दूषित होंगी बल्कि हिमालय का पूरा हिम नंदन क्षेत्र भी प्रभावित होगा प्रदूषित होगा जो दुखद स्थिति पहले से ही जलवायु परिवर्तन के लिए पूरे विश्व में बड़ी त्रसादी रही है और केदार आपदा भुलाए नहीं भूलने वाली त्रसादी थी हम सभी आम जनमानस से अपील करते हैं कि हमें समझना होगा देवपुरा चौक पर संचालित शराब कारखाने के विरोध में क्रमिक अनशन जो आज 23 वा दिन पूर्ण कर चुका है वह कोई राजनीतिक लड़ाई नहीं है और ना ही किसी राजनीतिक स्वार्थ पूर्ति के लिए है यह लड़ाई हमारे पूर्वजों द्वारा संरक्षित किए गए बनो स्वस्थ पर्यावरण पवित्र जल स्रोतों एवं हिमालय के हिम नंदन के साथ वनों को बचाने की है यह लड़ाई न किसी अहम के लिए है। यह लड़ाई न किसी एक व्यक्ति की नहीं है। यह लड़ाई हमारे पूर्वजों द्वारा संरक्षित वन जल और नदियों के संरक्षण की है। जिसको ना हमें और ना ही सरकार को इसे तबाह करने का अधिकार है और ना ही प्रदूषित करने का अधिकार है हिमालय की प्रचुर संपदा हमारे आने वाली पीढ़ियों का अधिकार है जिसे हमें हर हाल में उनके लिए संरक्षित करना पड़ेगा संजोकर रखना पड़ेगा हमारे युवा पीढ़ी के भविष्य को बचाने के लिए हमारे पर्यावरण परिवेश को सुरक्षित रखने के लिए लड़ाई जारी है सरकार कितनी भी आक्रांता क्यों ना हो जाए वह पर्यावरण परिवेश पर छेड़खानी करने का कतई अधिकार नहीं रखती क्योंकि सरकारें पर्यावरण परिवेश के लिए कुछ नहीं करती केवल सेमिनार के अलावा सुरक्षित एवं स्वस्थ पर्यावरण की अवधारणा के विपरीत कार्य करती है और उन्हें किसी भी कीमत पर किसी भी स्तर पर पर्यावरण को समाप्त करने की जो भी साजिशें सरकारें रचिंगी वह कभी भी पर्यावरण को नष्ट करने में सफल नहीं हो सकती अब यह जिम्मेदारी आक्रांता सरकारों के विरुद्ध आम जनता को लड़ने के लिए पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए और युवा पीढ़ी की धरोहर को बचाने के लिए काम करना पड़ेगा साथियों स्पष्ट है कि पूरा हिमालय क्षेत्र एशिया का सबसे बड़ा जल बैंक हैं और हिमालई क्षेत्र से पर्याप्त जीवन वायु ऑक्सीजन पूरे देशवासियों को मिलती है जिसमें शराब कारखाने व रासायनिक कारखाने लगने से पवित्र गंगा नदी जिसके किनारे लगभग 40 करोड़ मानव सभ्यता निवास करती है के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ेगा साथ ही सनातन हिंदू धर्मावलंबी तीर्थ श्रद्धालु द्वारा मां गंगा में मोक्ष प्राप्त एवं पाप मुक्ति हेतु प्रतिदिन मां गंगा में स्नान हेतु आते हैं जब हिमालय क्षेत्र में स्थापित शराब कारखानों द्वारा निकलने वाला पवित्र जल मां गंगा की मुख्यधारा में प्रविष्ट करेगा तो वह गंगा की अविरल धारा को प्रदूषित करने में और ज्यादा सहायक सिद्ध होगा सरकार में बैठे हुए नौकरशाह अथवा सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा केवल माफियाओं के संरक्षण एवं उन को पोषित करने के लिए उत्तराखंड हिमालय देव तीर्थ में सात दशकों से मातृशक्ति आंदोलनकारीओं द्वारा उत्तराखंड में पूर्ण रूप से शराब बंदी के लिए संचालित आंदोलन को भी राज्य सरकार द्वारा पृथक राज्य प्राप्त की मूल अवधारणा के विरुद्ध हिमालय क्षेत्र में शराब कारखाने लगाकर अपराध किया है।साथियों राज्य सरकार द्वारा पहले तो धार्मिक आस्था के साथ कुठाराघात किया गया जिससे मां गंगा के पवित्र स्वरूप को प्रदूषित करने की कूट संरचना रच कर हिमालय क्षेत्र के पलायन हुए गांव पर भू माफियाओं को काबिज कराने के उद्देश्य से रचा गया षड्यंत्र जिससे उत्तराखंड में असम के बोडो जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।दूसरा यह कि करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं आहत होंगी। तीसरा यह कि हिमालय और हिमालय से निकलने वाले पवित्र जल स्रोत प्रदूषित हो जाएंगे जिससे हिमालय से निकलने वाली नदियां दूषित हो जाएंगे किससे जलीय जीवो पर इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा। चौथा यह कि हिमालई क्षेत्र में शराब कारखाने खोलने से वन्य जीव जंतुओं पर खतरा रहेगा।

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