दिर पहà¥à¤‚चने शà¥à¤°à¥‚ हो गठऔर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने फूल मालाओं ,पान ,सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€, धूप ,कपूर फूल फल और नैवेदà¥à¤¯ चढ़ाकर मां शीतला का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• किया। शीतला माता मंदिर को à¤à¤µà¥à¤¯ रूप से सजाया गया।गà¥à¤¬à¥à¤¬à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ फूलों की लड़ियों बिजली की लड़ियों से पूरे मंदिर को अति सà¥à¤‚दर तरीके से सजाकर à¤à¤µà¥à¤¯ रूप दिया गया । मंदिर में सà¥à¤¬à¤¹ से ही à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¤¡à¤¼ लगी हà¥à¤ˆ है ।मंदिर में पंचामृत से देविका अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• किया गया सती शिव जी की पहली पतà¥à¤¨à¥€ थी । यह उनका जनà¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है और कनखल सती कà¥à¤‚ड कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° को 52 शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ ों का उदà¥à¤—म सà¥à¤¥à¤² माना जाता है। सती ने कनखल के दकà¥à¤·à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव मंदिर के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बने हà¥à¤ यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में कूदकर कर आतà¥à¤®à¤¦à¤¾à¤¹ कर लिया था ।
रिपोर्ट -
शारदीय नवरातà¥à¤°à¤¿ के पहले दिन आज हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° तीरà¥à¤¥ नगरी में सती के जनà¥à¤® सà¥à¤¥à¤² शीतला माता मंदिर कनखल में सà¥à¤¬à¤¹ तड़के से मां के à¤à¤•à¥à¤¤ मंदिर पहà¥à¤‚चने शà¥à¤°à¥‚ हो गठऔर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने फूल मालाओं ,पान ,सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€, धूप ,कपूर फूल फल और नैवेदà¥à¤¯ चढ़ाकर मां शीतला का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• किया। शीतला माता मंदिर को à¤à¤µà¥à¤¯ रूप से सजाया गया।गà¥à¤¬à¥à¤¬à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ फूलों की लड़ियों बिजली की लड़ियों से पूरे मंदिर को अति सà¥à¤‚दर तरीके से सजाकर à¤à¤µà¥à¤¯ रूप दिया गया । मंदिर में सà¥à¤¬à¤¹ से ही à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¤¡à¤¼ लगी हà¥à¤ˆ है ।मंदिर में पंचामृत से देविका अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• किया गया सती शिव जी की पहली पतà¥à¤¨à¥€ थी । यह उनका जनà¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है और कनखल सती कà¥à¤‚ड कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° को 52 शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ ों का उदà¥à¤—म सà¥à¤¥à¤² माना जाता है। सती ने कनखल के दकà¥à¤·à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव मंदिर के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बने हà¥à¤ यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में कूदकर कर आतà¥à¤®à¤¦à¤¾à¤¹ कर लिया था । कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनके पिता राजा दकà¥à¤· ने इस यजà¥à¤ž में उनके पति का अपमान किया था। सती के शव को देखकर à¤à¤—वान शिव शोक मगà¥à¤¨ हो गà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤µ से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिठà¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ ने अपने सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ चकà¥à¤° से सती के शव के 52 टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¥‡ थे । जहां जहां उनके शव के टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¥‡ गिरे । उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर शकà¥à¤¤à¤¿ पीठबनी। 52 शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ ों में 51 शकà¥à¤¤à¤¿ पीठà¤à¤¾à¤°à¤¤ में और 1 शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ नेपाल में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। इसलिठकनखल सती के जनà¥à¤® सà¥à¤¥à¤² और दकà¥à¤·à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° को 52 शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ ों का उदà¥à¤—म सà¥à¤¥à¤² माना जाता है। नवरातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के अवसर पर हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के सà¤à¥€ मंदिरों मनसा देवी, चंडी देवी,मायादेवी, अंजनादेवी,सà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤¿à¤¦à¥‡à¤µà¥€ मंदिरों में दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का तांतां लगा रहा।