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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि टीईटी योग्यता प्रमाणपत्र की वैधता पांच वर्षों के लिए ही है


2011 का टीईटी प्रमाणपत्र 2018 में नियुक्ति के लिए मान्य नहीं, हाईकोर्ट ने प्रधानाध्यापिका की नियुक्ति को माना अवैध

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि टीईटी योग्यता प्रमाणपत्र की वैधता पांच वर्षों के लिए ही है इसलिए 2011में टीईटी पास प्रमाणपत्र 2018 में नियुक्ति के लिए वैध नहीं है।कोर्ट ने 2011 के टीईटी प्रमाणपत्र के आधार पर 2018 में नियुक्त प्रधानाध्यापिका को नियुक्ति के योग्य नहीं माना है।कोर्ट ने बीएसए वाराणसी के एक सितंबर 2020 व तीन सितंबर 2020 के प्रबंधक के आदेश पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार व अन्य पक्षकारों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कार्यवाहक प्रधानाध्यापिका सुशीला उर्फ रामा की याचिका पर दिया है।याचिका पर अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने बहस की। याची रमाकांत सेवा संस्थान माध्यमिक विद्यालय, पिशाच मोचन, वाराणसी के कार्यवाहक प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्यरत थी।इसी पद पर चयनित रंजना चौबे की नियुक्ति की गई है, जिसे यह कहते हुए चुनौती दी गई हैं कि नियुक्ति के समय वह पद पर नियुक्ति की योग्यता नहीं रखती थी।क्योंकि उन्होंने 2011में टीईटी पास किया जो पांच वर्ष के लिए ही वैध थी। जिस समय नियुक्ति हुई विपक्षी के पास टीईटी का वैध प्रमाणपत्र नहीं था।कोर्ट ने नियुक्ति पर रोक लगाते हुए जवाब तलब किया है।

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