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देश की इकोनॉमी को पुरानी रंगत में लाने की सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही


सुधार की कोशिशों पर भारी न पड़ जाए महंगाई के तेवर, नीति नियामकों के बीच बढ़ी चिंता

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

देश की इकोनॉमी को पुरानी रंगत में लाने की सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है लेकिन इस बीच महंगाई ने जिस तरह के तेवर दिखाने शुरु किये हैं उससे नीति नियामकों में एक नई चिंता पैदा होने लगी है। जानकारों की मानें तो खुदरा महंगाई जिस तरह से पिछले चार महीनों से लगातार बढ़ रही है उसकी वजह से ब्याज दरों को और नीचे लाने को लेकर आरबीआइ के हाथ बंध सकते हैं। यही नहीं कई विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि सरकार को फिलहाल महंगाई थामने के काम को भी पूरी वरीयता देनी होगी नहीं तो आर्थिक सुस्ती दूर करने की कोशिशों पर भी असर होगा। केंद्र सरकार की तरफ से गुरुवार को जारी खुदरा महंगाई की दर 7.61 फीसद रही है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) पर यह खुदरा महंगाई की पिछले साढ़े छह वर्षो की उच्चतम स्तर है। इससे पहले मई, 2014 में खुदरा महंगाई दर 8.33 प्रतिशत थी। इसके साथ ही इकोनॉमी पर आरबीआइ की तरफ से गुरुवार को जारी रिपोर्ट भी महंगाई के नियंत्रण से बाहर जाने की तरफ इशारा करती है।

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