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सार्वभौमिक हितों के लिये एक दूसरे के साथ मिलकर कार्य करना नैसर्गिक नियम: स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज एकजुटता (साॅलिडेरिटी़) हेतु मनाये जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर कहा कि वर्तमान समय में पूरे विश्व को एकजुट होने की जरूरत हैं।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 29 नवम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज एकजुटता (साॅलिडेरिटी़) हेतु मनाये जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर कहा कि वर्तमान समय में पूरे विश्व को एकजुट होने की जरूरत हैं। कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को समझा दिया कि साझा हितों, उद्देश्यों और एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति को बनाये रखने के लिये एक साथ आना और मिलकर कार्य करना ही एक समाधान है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि विश्व के अधिकांश देश एक वर्ष से अधिक समय से कोरोना महामारी के कारण परेशान है, ऐसे में एकजुटता और सामाजिक सामंजस्य ही समाधान है। सभी राष्ट्र सार्वभौमिक हितों के लिये एक दूसरे के साथ मिलकर कार्य करें यही तो नैसर्गिक नियम भी है। सामाजिक एकजुटता के नैसर्गिक नियम को हमने कुछ हद तक भूला दिया था, कोरोना ने आकर फिर हमें याद दिलायी कि यदि पृथ्वी पर जीवित रहना है तो अपने मूल और मूल्यों से जुड़ें रहना होगा। एक-दूसरे पर निर्भरता और सामंजस्य ही उन्नत समाज की आधारशिला है। स्वामी जी ने कहा कि कोरोना काल में न केवल लोगों ने बल्कि राष्ट्रों ने भी आपसी सहायता और सहयोग की भावनाओं को समझा, जिसके पश्चात कईयों का तो जीवन जीने का ढंग ही बदल गया। उन्होंने कहा कि भारत को तो एकजुटता, सहयोग की भावना और आपस में मिल कर रहना आदि मूल्य विरासत में मिले हैं। भारत में पर्वों और त्योहारों को मनाने की परम्परायें इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। भारत में मनाये जाने वाला हर उत्सव यह एकजुटता का संदेश देता है। एकजुटता की संस्कृति से ही वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवन्तु सुखिनः की संस्कृति का जन्म होता है। एक अच्छा जीवन जीने के लिए समुदाय के साथ एकजुट होकर रहना आवश्यक है। विपरीत परिस्थितियों में एक-दूसरे की मदद करना और श्रेष्ठ कार्य के लिये एक-दूसरे का समर्थन करना बहुत जरूरी है। आईये आज संकल्प लें कि सार्वभौमिक एकता के लिये हम अपना सकारात्मक योगदान प्रदान करेंगे।

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