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राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने में संतों का अहम योगदान-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज


राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने में संतों का अहम योगदान है। क्योंकि संत महापुरूष समाज का मार्गदर्शन कर समाज के संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं और व्यक्ति को ज्ञान की प्रेरणा देकर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। उक्त उद्गार श्रवण नाथ मठ स्थित पशुपति नाथ मंदिर के वार्षिक समरोह में संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने व्यक्त किए।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¾à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गौड़

हरिद्वार, 7 अक्टूबर। राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने में संतों का अहम योगदान है। क्योंकि संत महापुरूष समाज का मार्गदर्शन कर समाज के संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं और व्यक्ति को ज्ञान की प्रेरणा देकर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। उक्त उद्गार श्रवण नाथ मठ स्थित पशुपति नाथ मंदिर के वार्षिक समरोह में संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है और देवभूमि हरिद्वार के संतों ने भारत का जो स्वरूप विश्व पटल संयोजा है। वह अद्भूत है। श्रीमहंत लखन गिरी महाराज ने कहा कि संतों का कार्य समाज में सद्भाव का वातावरण बनाकर समरसता का संदेश देना होता है। हरिद्वार का संत समाज अनेक सेवा प्रकल्पों के माध्यम से राष्ट्र कल्याण में अपनी सहभागिता निभाता चला आ रहा है। संतों के जीवन से प्रेरणा लेकर व्यक्ति को समाज सेवा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए और धर्म के मार्ग पर चलकर भारतीय संस्कृति के संरक्षण, संवर्द्धन में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए। महंत डोंगर गिरी व स्वामी रघुवन महाराज ने कहा कि संतों के सानिध्य में व्यक्ति के उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। परमार्थ के लिए जीवन समर्पित करने वाले शिव स्वरूप संत महापुरूष समाज में ज्ञान का संचार कर लगातार अपने व विद्वता के माध्यम से भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। राष्ट्र निर्माण में संत महापुरूषों का योगदान अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में पतित पावनी मां गंगा के तट पर संतों का सानिध्य सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है। संतों के उपदेशों को आत्मसात कर सभी को समाज में फैल रही कुरीतियों से बचना चाहिए और पाश्चात्य संस्कृति का त्याग कर भारतीय संस्कृति को अपनाना चाहिए। साथ ही औरों को भी इसके लिए प्रेरित करनाचाहिए। एमएमजेएन कालेज के प्राचार्य डा.सुनील कुमार बत्रा ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया और उनके आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर स्वामी आशुतोष पुरी, स्वामी राधेश्याम पुरी, स्वामी राकेश गिरी, श्रीमहंत रामरतन गिरी, महंत राधेगिरी, महंत नरेश गिरी, महंत राजेंद्र भारती, स्वामी आलोक गिरी, संत जगजीत सिंह, म.म.स्वामी राजेंद्रानंद, स्वामी मधुरवन, स्वामी रविवन, महंत शिवशंकर गिरी, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी जगदीशानंद, महंत सूरजदास, महंत मोहन सिंह, महंत प्रेमदास, महंत निर्मलदास आदि सहित बड़ी संख्या में संत महंत मौजूद रहे।

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