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स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के उद्बोधन के साथ हुई आज के ऑनलाइन सत्र की शुरूआत


जल आपूर्ति एवं स्वच्छता सहयोगात्मक कौंसिल (डब्ल्यूएसएससीसी) और ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस (जीवा) के संयुक्त तत्वाधान में आज ‘‘मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता पर राष्ट्रीय परामर्श’’ विषय पर ऑनलाइन वेबिनाॅर का आयोजन किया गया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 2 दिसम्बर। जल आपूर्ति एवं स्वच्छता सहयोगात्मक कौंसिल (डब्ल्यूएसएससीसी) और ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस (जीवा) के संयुक्त तत्वाधान में आज ‘‘मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता पर राष्ट्रीय परामर्श’’ विषय पर ऑनलाइन वेबिनाॅर का आयोजन किया गया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष और जीवा के सह-संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती , जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, डब्ल्यूएसएससीसी के राष्ट्रीय समन्वयक विनोद मिश्रा जी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय, महिला और बाल मंत्रालय, एनसीईआरटी शिक्षा मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने सहभाग कर जमीनी स्तर पर परिवर्तन लाने हेतु अपने प्रेरक विचार एवं सुझाव व्यक्त किये। डब्ल्यूएसएससीसी और जीवा पिछले कुछ वर्षों में, मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति महिलाओं, किशोरियों और जनसाधारण को जागरूक करने हेतु विभिन्न स्तरों यथा लड़कियों के स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता और पर्यावरण के विभिन्न घटकों पर सुधार लाने हेतु कार्य कर रहे हैं जिसके विलक्षण परिणाम भी प्राप्त हुये। आज की वेबिनाॅर के माध्यम से मासिक धर्म के विषय में व्याप्त प्रथाओं व वर्जना के साथ सरकार के द्वारा किये जा रहे कार्यों और प्रयासों के साथ गैर-सरकारी संगठनों, मीडिया, अन्य विकास एजेंसियाँ और व्यक्तिगत स्तर पर जो प्रयास किये जा रहे हैं उससे प्राप्त समाधानों के साथ आगे की राह के विषय में चिंतन किया गया। मासिक धर्म के दौरान उपयोग की जाने वाली सामग्री की उपलब्धता तथा घरों, स्कूलों और संस्थानों में मासिक धर्म स्वच्छता हेतु अनुकूल सुविधाओं तक पहुंच के साथ मासिक धर्म पर खुले तौर पर चर्चा की जा सके चूंकि यह स्वास्थ्य का मामला है, इस हेतु माहौल तैयार करना क्योंकि भारत में 23 प्रतिशत लड़कियां को मासिक धर्म शुरू होने पर स्कूल नहीं जा पाती और महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा अभी भी मासिक धर्म के प्रबंधन के लिए असुरक्षित और अस्वच्छ विकल्पों को अपनाता है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर इसका विपरीत असर पड़ता है।

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