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कोरोना महामारी के दौरान बनाई शिक्षा नीति


कोरोना महामारी के दौरान जहाँ एक तरफ दुनिया तालाबंदी से जूझ रही थी वही दूसरी ओर भारत नई शिक्षा नीति जैसे एक बड़े बदलाव का साक्षी बना। इस बदलाव को देश ही नहीं, विदेशों में भी सराहा जा रहा है।

रिपोर्ट  - ALL NEWS BHARAT

कोरोना महामारी के दौरान जहाँ एक तरफ दुनिया तालाबंदी से जूझ रही थी वही दूसरी ओर भारत नई शिक्षा नीति जैसे एक बड़े बदलाव का साक्षी बना। इस बदलाव को देश ही नहीं, विदेशों में भी सराहा जा रहा है। कोरोना महामारी के दौरान बनाई इस शिक्षा नीति के लिए ब्रिटेन की संस्था "वातायन-यूके" के द्वारा "अंतर्राष्ट्रीय वातायन शिखर सम्मान" से सम्मानित किया गया है। इस सम्मान से समान्नित होने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी सराहना,लोकप्रियता और चर्चा पर भारत के राष्ट्रपति ने भी प्रसन्नता जाहिर कर इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को बधाई दी। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र भेज कर विश्वस्तर पर हो रही भारत की नई शिक्षा नीति की प्रशंसा पर प्रसन्नता जाहिर की और कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात की है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ निशंक को इस सम्मान से समान्नित होने पर उत्तराखंड में और गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्र व शिक्षकों में खुशी का माहौल है। गढ़वाल विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० एम एम सेमवाल ने डॉ निशंक को बधाई देते हुए कहा कि यह नीति आधुनिकता और भारतीयता को एक साथ समाहित करने वाली नीति है। जिसे भारत ने कोरोना के उस दौर में बनाया, जब दुनिया कुछ नया नहीं सोच पा रही थी। यह नीति शिक्षा के बदलाव के एक नए अध्याय को लेकर आ रही है जिसकी 21 वीं सदी में सबसे ज्यादा जरूरत थी। इस लिए देश ही नहीं विदेश में भी इस नीति पर चर्चा होने पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। बल्कि आनेin वाले दिनों में दूसरे देश भी हमारी नीति का अनुसरण करते दिखेंगे।

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