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डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर का एक दलित के रूप में परिचय अधूरा, देश विभाजन के विरोध मे रहे अम्बेंडकर


भीमराव रामजी अम्बेडकर भारतीय बहुज्ञ, गणराज्य भारत के निर्माता, संविधानशिल्पी, समाजसुधारक, प्रथम कानून एवं न्याय मंत्री बनने का गौरव हासिल किये है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

भीमराव रामजी अम्बेडकर भारतीय बहुज्ञ, गणराज्य भारत के निर्माता, संविधानशिल्पी, समाजसुधारक, प्रथम कानून एवं न्याय मंत्री बनने का गौरव हासिल किये है। एक लोकप्रिय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ होने के साथ भीमराव अम्बेडकर ने सामाजिक भेदभाव के विरूद्व अभियान चलाया। श्रमिकों, किसानों और महिलाओ के अधिकारों का समर्थन भी किया था। डाॅ अम्बेडकर स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माता थे। अम्बेडकर का राजनैतिक कैरियर 1926 में शुरू हुआ। और 1956 तक वह राजनीतिक क्षेत्र मे विभिन्न पदों पर रहे। दिसंबर 1926 में बाॅम्बे के गवर्नर ने उन्हे बाॅम्बे विधान परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया। उन्होने अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लिया और अक्सर आर्थिक मामलों पर भाषण दिये। वे 1936 तक बाॅम्बे लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य रहे। आज के दिन 06 दिसंम्बर 1965 को 65 वर्ष की आयु में डाॅ0भीमराव अम्बेडकर का निधन हो गया था। जिनकी स्मृति मे डाॅ0 भीमराव अम्बेंडकर राष्ट्रीय स्मारक, नई दिल्ली तथा समाधि स्थल चैत्य भूमि, मुंबई में स्थित है। गुरूकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ0 शिवकुमार चैहान का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस काॅलेज के संस्थापक श्री राय केदारनाथ की मृत्यु के बाद वे काॅलेज की गवर्निग बाॅडी के अध्यक्ष बनें। उनके निजी पुस्तकालय मे 50,000 से अधिक पुस्तकें थी। तब यह दुनिया का सबसे बडा निजी पुस्तकालय था। उन्होने 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की जो 1937 में केन्द्रिय विधन सभा चुनावों में 13 सीटें जीती और अम्बेडकर बाॅम्बें विधान सभा के विधायक चुने गये। वे मुस्लिम लीग तथा मोहम्मद अली जिन्ना की विभाजनकारी सांप्रदायिक रणनीति के घोर आलोचक रहे। वे हिंदू और मुसलमानों के बीच के मतभेद को कम कठोर कदम से मिटाना चाहते थे जिसके लिए उन्होने लिखा है कि पाकिस्तान को अपने अस्तित्व का औचित्य सिद्व करना चाहिए। कनाडा जैसे देशों में भी सांप्रदायिक मुददे हमेशा रहने पर वहां आज भी अंग्रेज और फ्रांसीसी एक साथ रहते है तो हिन्दू और मुसलमान भी साथ क्यों नही रह सकते। डाॅ0 चैहान बताते है कि डाॅ0 अम्बेडकर ने जनसंख्या स्थानान्तरण के साथ सीमा विवाद की समस्या रहने पर भी अपना सुझाव दिया था। यही दोनो मुददें आज भी वर्तमान सरकार के लिए एक जटिल समस्या बने हुए है। जिसका समाधान मोदी सरकार ने धारा 370 तथा 35-ए हटाकर कुछ हद तक कर भी दिया है। लेकिन सीमा विवाद आज अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर विवाद बना हुआ है। जिसके कारण देश में आतंकवाद का खत्मा संभव नही हो पा रहा है।

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