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प्रत्येक व्यक्ति की मौलिक सुविधाओं तक पहुँच और सभी को हो मौलिक अधिकारों का ज्ञान : स्वामी चिदानन्द सरस्वती


अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि मानवाधिकार का तत्पर्य प्रत्येक व्यक्ति के नैसर्गिक अधिकार से है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 10 दिसम्बर। अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि मानवाधिकार का तत्पर्य प्रत्येक व्यक्ति के नैसर्गिक अधिकार से है। नैसंर्गिक रूप से मानव को जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है जिसमें स्वच्छ जल, शुद्ध वायु और प्रदूषण मुक्त वातावरण शामिल है। वर्तमान परिपेक्ष्य में देखे तो मानवीय गतिविधियों के कारण मानव के कुछ नैसर्गिक अधिकारों का हनन हो रहा है, इस पर सभी को चिंतन करने की आवश्यकता है। मानव के अधिकारों की रक्षा करना नितांत आवश्यक है परन्तु जब तक प्रकृति और पर्यावरण के अधिकार सुरक्षित नहीं होगे मानव के अधिकारों का हनन होता रहेगा इसलिये मानव, प्रकृति और पर्यावरण सभी के अधिकारों की रक्षा के लिये समेकित प्रयास व प्रभावी कदम उठाना जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1950 में 10 दिसंबर के दिन को मानवाधिकार दिवस घोषित किया था जिसका उद्देश्य है कि जनसमुदाय को अपने अधिकारों के बारे जानकारी प्राप्त हो सके। भारतीय संविधान में भी मौलिक अधिकारों का समावेश हैं, जो देश के नागरिकों को और किसी भी परिस्थितियों में देश में निवास कर रहे सभी व्यक्तियांे को प्राप्त होते हैं। कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के इन अधिकारों को प्राप्त करने का हकदार है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा लागू किये गये मानवाधिकार संबंधी घोषणापत्र में कहा गया था कि मानव के बुनियादी अधिकार किसी भी जाति, धर्म, लिंग, समुदाय, भाषा, समाज आदि से उपर हैं। मानवाधिकार के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को गरिमामय जीवन जीने का अधिकार है, साथ ही स्वतंत्रता, समानता, सम्मान, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल हैं।

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