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उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के ऋषिकुल परिसर में शिष्य उपनयन संस्कार उत्सव मनाया


उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ऋषिकुल परिसर के महामना पंण्डित मदनमोहन मालवीय प्रेक्षागृह में प्रथम बार शास्त्रीय वेदोक्त विधि से ऋषिकुल एवं गुरूकुल परिसर के स्नातकोŸार बैंच 2019-20 का शिष्य उपनयन संस्कार दीक्षा

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ऋषिकुल परिसर के महामना पंण्डित मदनमोहन मालवीय प्रेक्षागृह में प्रथम बार शास्त्रीय वेदोक्त विधि से ऋषिकुल एवं गुरूकुल परिसर के स्नातकोŸार बैंच 2019-20 का शिष्य उपनयन संस्कार दीक्षा प्रदान कार्यक्रम को कोरोना गाइड लाइन का सम्पूर्ण पालन करते हुए किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से कोरोना वारियर और ऋषिकुल परिसर के उत्कृष्ट कर्मचारियों को भी प्रमाण पत्र एवं प्रतीक चिंन्ह के साथ सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला देहरादून के कुलपति डा0 सुनील कुमार जोशी, मुख्य अतिथि कुलपति डा0 रूपकिशोर शास्त्री, गुरूकुल काॅगडी विश्वविद्यालय हरिद्वार, महामण्डलेश्वर स्वामी नित्यानन्द सरस्वती महाराज, उपाध्यक्ष उत्तराखण्ड संस्कृृत अकादमी, प्रो0 प्रेमचन्द्र शास्त्री, ऋषिकुल परिसर निदेशक, प्रो0 डा0 अनूप कुमार गक्खड़, परिसर निदेशक, गुरूकुल प्रो0 अरूण कुमार त्रिपाठी, परिसर निदेशक, मुख्य परिसर हर्रावाला देहरादून के प्रो0 राधाबल्लभ सती, ऋषिकुल स्नातक परिषद के अध्यक्ष डा0 देवेन्द्र चमोली ने नवआगंतुक शोधार्थीओं को ज्ञान दीक्षा व्याख्यान दिया, और भविष्य के लिये शुभकामनायें दी। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालक ऋषिकुल परिसर के शरीर रचना विभागाध्यक्ष प्रो0 डा0 नरेश चैधरी द्वारा किया गया। शिष्योपनयन संस्कार की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 डा0 सुनील कुमार जोशी ने कहा कि आज के शिष्य देश के भविष्य है और ये ही आयुर्वेद की पताका विश्वभर में फहरायेगें साथ ही डा0 जोशी ने कहा कि आयुर्वेद पद्धिती को सम्पूर्ण विश्व ने इस कोरोना जैसी महामारी बिमारी से बचने के लिये जो रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढाकर आपनी अलग पहचान बनायी है। मुख्य अतिथि के रूप में गुरूकुल काॅगडी के कुलपति प्रो0 डा0 रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि आज इस शिष्योपनयन संस्कार उत्सव के माध्यम से प्रतीत हो रहा है कि जो हमारी प्रचीन गुरूशिष्य वैदिक परम्मपरा ऋषिकुल एवं गुरूकुल के नाम से जानी जाती थी आज भी जीवित है। सास्वत अतिथि के रूप में उत्तराखण्ड संस्कृत ऐकडमी के उपाध्यक्ष प्रो0 प्रेमचन्द्र शास्त्री ने अपने संस्कृतिय संबोधन के माध्यम से नवआगंतुक शोधार्थीओं को गुरूशिष्य संस्कार की प्रतिज्ञा दिलाई। विशेष अतिथि के रूप में महामण्डेश्वर स्वामी नित्यानन्द स्वामी ने सभी छात्र-छात्राओं को आर्शीश वचन देते हुए शिष्योपनयन संस्कार को संत समाज में भी होने वाली वैदिक परम्परा के विषय पर भी प्रकाश डाला। शिष्योपनयन संस्कार के अन्तर्गत ऋषिकुल एवं गुरूकुल परिसर के सभी शोधार्थीओं को सभी विभागाध्यक्षों ने प्रतीक चिंन्ह प्रदान किया । उत्सव में कोरोना महामारी में संमर्पित एवं उत्कृष्ट सेवा देने के लिये उत्कृष्ट करोना वायरियर्स के रूप में प्रो0 डा0 नरेश चैधरी, प्रो0 डा0 ओ0पी0 सिंह, प्रो0 डा0 ऋषिआर्य, डा0 हेमप्रकाश, डा0 प्रवेश कुमार, डा0 रेनू प्रसाद, डा0 यादवेन्द्र यादव, डा0 ज्ञानप्रकाश, डा0 सिद्धि मिश्रा, खीमानन्द भट्ट, समीर पाण्डेय, दीपक, समस्त स्टाफ नर्स एवं अन्य कर्मचारियों केे साथ विशेषरूप से प्रवासीयों को उनके गंत्वय स्थानों पर पहुचवाने प्रथम दिन से ही जिला प्रशासन को उत्कृष्ट सहयोग के लिये अनिल सिंह नेगी को उत्कृष्ट करोना वायरियर्स के लिये समानित किया गया। ऋषिकुल परिसर में उत्कृष्ट सेवा के लिये सुदामा जोशी, दिलावर सिंह सतकारी, प्रवीन सिंह पुरोहित, रविशंकर, सतेन्द्र नेगी एवं अनुज कुमार को भी कुलपति द्वारा पुरस्कृत किया गया। शिष्योपनयन संस्कार उत्सव को विशेषरूप से सफल बनाने के लिये उत्सव के मुख्य संयोजक शल्य विभागाध्यक्ष, प्रो0 डा0 अजय गुप्ता एवं संयोजक शरीर रचना विभागाध्यक्ष प्रो0 डा0 नरेश चैधरी को विशेषरूप से उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यायल के कुलपति प्रो0 डा0 सुनील कुमार जोशी, गुरूकुल काॅगडी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 डा0 रूपकिशोर शास्त्री, संस्कृत एकाडमी के उपाध्यक्ष प्रो0 डा0 प्रेमचन्द्र शास्त्री एवं तीनों परिसरों के परिसर निदेशकों द्वारा संयुक्तरूप से सम्मानित किया गया।

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