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हेमवती नंदन गढवाल विश्वविद्यालय में 'कृषि कानून - वर्तमान स्थिति तथा समाधान ' विषय को लेकर एकदिवसीय परिचर्चा


हेमवती नंदन गढवाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा 'कृषि कानून - वर्तमान स्थिति तथा समाधान ' विषय को लेकर एकदिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया ।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नंदन गढवाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा 'कृषि कानून - वर्तमान स्थिति तथा समाधान ' विषय को लेकर एकदिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया । गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने हाल ही में तीन कृषि कानूनों को पारित किया है जिसके बाद से लगातार किसान संगठन इसमें कुछ खामियों तथा अपनी शंकाओं को लेकर आंदोलनरत हैं और इसके कारण सरकार तथा इन किसान संगठनों के बीच गतिरोध की स्थिति बनी हुई है जिसका कि फिलहाल कोई समाधान होता हुआ नहीं दिख रहा है । एक कृषि प्रधान कहे जाने वाले अर्थव्यवस्था जिसकी लगभग आधी से अधिक आबादी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से खेती-किसानी से जुड़ी है और विश्व के सबसे बड़ा लोकतंत्र कहे जाने वाले देश में इस तरह अन्नदाताओं तथा सरकार में बीच संघर्ष की स्थिति अच्छी बात नहीं है अतः इस परिचर्चा के माध्यम से वर्तमान गतिरोध की स्थिति तथा इसके संभावित समाधानों को लेकर चर्चा की गई । परिचर्चा का संचालन शोध छात्र मयंक उनियाल ने किया तथा स्पष्ट करते हुए कहा कि सिर्फ पंजाब - हरियाणा के किसान ही इसलिए मुखर हैं क्योंकि पूरे देश में सिर्फ 6% किसान ही अपने उत्पाद एमएसपी पर बेचते हैं और इनमें से अधिकतर किसान इन्हीं दो प्रदेशों से आते हैं इसलिए यहां इन कानूनों का बड़े स्तर पर विरोध देखने को मिल रहा है , इसके बाद डॉ नरेश कुमार ने कहा कि किसी भी जीवंत लोकतंत्र में असमहति तथा आंदोलन उसकी खूबसूरती होती है और यही 'डांस ऑफ डेमोक्रेसी' हम इस आंदोलन में देख सकते हैं जिसका का जिक्र माननीय उच्च न्यायालय ने भी अपने फैसले में किया है साथ ही जिस तरह से नागरिक समाज एक जाग्रत विपक्ष की भूमिका निभा रहा है वह अपने आप में सुखद अनुभव है । इसके साथ ही उन्होंने इस तरह भी ध्यान आकृष्ट किया कि सरकार को अधिक संवेदनशील होकर किसान संगठनों से मुखातिब होने की आवश्यकता है एवं किसान संगठनों को भी संयम के साथ अपना आंदोलन करना चाहिए इसी में दोनों पक्षों की बेहतरी एवं भलाई है । इसके पश्चात राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एम एम सेमवाल ने कहा कि कृषि सुधारों को लेकर लम्बे समय से मांग की जा रही थी जिसे पहलकारी रूप से अब लागू किया गया है साथ ही उन्होंने विशेष रूप से रेखांकित किया कि यह तीनों कानून पूरी संवैधानिक प्रक्रिया के साथ संसद से पारित किए गए हैं अतः इनकी कानूनी वैधता को लेकर बेवजह सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए किंतु साथ ही जिस तरह से किसान दिल्ली की सड़कों पर इतनी ठंड में डटे हुए हैं वह भी अपने आप में चिंता का विषय है इसका भी स्थाई हल निकाला जाना चाहिए । इसमें राजनीति विज्ञान विभाग में शोधार्थी ,स्नातकोत्तर कक्षा तथा स्नातक कक्षाओं के विद्यार्थी समेत लगभग 103 लोग उपस्थित रहे।

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