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सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि अनुसूचित जातियों पर राष्ट्रपति के आदेश में अदालत द्वारा बदलाव नहीं


अनुसूचित जातियों पर राष्ट्रपति के आदेश में अदालत द्वारा बदलाव नहीं:सुप्रीम कोर्ट

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि अनुसूचित जातियों पर राष्ट्रपति के आदेश में अदालत द्वारा बदलाव नहीं किया जा सकता है।सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी आदिवासी समुदाय या जनजातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में निर्दिष्ट करने की शक्ति संविधान के तहत राष्ट्रपति के पास है।अनुच्छेद 342 (1) के तहत राष्ट्रपति के पास निहित इस अधिकार को अदालत द्वारा परीक्षण नहीं किया जा सकता।सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह अदालत का काम नहीं है कि राष्ट्रपति के पास एक विशेष समुदाय को एसटी में शामिल करने का अधिकार है या नहीं? जस्टिस अशोक भूषण,जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने यह कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के 2018 के एक फैसले को दरकिनार कर दिया जिसमें यह तय करने का निर्णय लिया गया था कि क्या जनजाति गोवारी अनुसूचित जनजाति गोंड गोवारी का हिस्सा है।हाईकोर्ट ने कहा था कि गोवारी को अनुसूचित जनजाति घोषित किया जाए।

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