जूना अखाड़े के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संगठन मंतà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤¨à¥à¤¤ विनोद गिरि महाराज के ततà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤¨à¥ मे शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤à¤—वत कथा के शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ पर à¤à¥‚पतवाला से बाबा अमरीगिरि घाट तक à¤à¤µà¥à¤¯ कलश यातà¥à¤°à¤¾ का आयोजन बैड बाजो के साथ किया गया। शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹ को शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤à¤¾à¤—वत कथा का रसपान कराते हà¥à¤à¥¤
रिपोर्ट - रामेशà¥à¤µà¤° गौड़
जूना अखाड़े के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संगठन मंतà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤¨à¥à¤¤ विनोद गिरि महाराज के ततà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤¨à¥ मे शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤à¤—वत कथा के शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ पर à¤à¥‚पतवाला से बाबा अमरीगिरि घाट तक à¤à¤µà¥à¤¯ कलश यातà¥à¤°à¤¾ का आयोजन बैड बाजो के साथ किया गया। शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹ को शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤à¤¾à¤—वत कथा का रसपान कराते हà¥à¤à¥¤ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤¨à¥à¤¤ विनोद गिरि महाराज ने कहा कि पतित पावनी मां गंगा का किनारा और गà¥à¤°à¥‚ का दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤à¤¾à¤—वत कथा à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ को बà¥à¤¾à¤¤à¥€ है। और à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ की पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ साधन है। मन की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के लिठशà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤à¤¾à¤—वत से बà¥à¤•à¤° कोई गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ नहीं है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ कहां कि शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤à¤¾à¤—वत साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ à¤à¤—वान का सà¥à¤µà¤°à¥‚प है। इसके पठन व शà¥à¤°à¤µà¤£ से à¤à¥‹à¤— और मोकà¥à¤· दोनो सà¥à¤²à¤ हो जाते है। à¤à¤¾à¤—वत के पाठसे कलयà¥à¤— के समसà¥à¤¤ दोष नषà¥à¤Ÿ हो जाते है। इसके शà¥à¤°à¤µà¤£ मातà¥à¤° से ही शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ हदà¥à¤¯ मे विराजते है। कथा वाचिका साधà¥à¤µà¥€ गीता मनीषी राधा गिरि ने कहा कि हजारो अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤˜ और वाजपेय यजà¥à¤ž इस कथा का अंश मातà¥à¤° à¤à¥€ नही है। फल की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¤¾à¤—वत की समानता कोई à¤à¥€ तीरà¥à¤¥ नही कर सकता à¤à¥‹à¤— और मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठà¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° à¤à¤¾à¤—वतॠशासà¥à¤¤à¥à¤° ही पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। सफल जीवन के समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¨ के लिठà¤à¤¾à¤—वत की नितà¥à¤¯ पठन व शà¥à¤°à¤µà¤£ करना चाहिà¤à¥¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इससे जो फल अनायास ही सà¥à¤²à¤ हो जाता है। वह अनà¥à¤¯ साधनो से दà¥à¤°à¥à¤²à¤ ही रहता है जगत मे à¤à¤¾à¤—वत शासà¥à¤¤à¥à¤° से निरà¥à¤®à¤² कà¥à¤› à¤à¥€ नही हैं। इसलिठà¤à¤¾à¤—वत रस का पान सà¤à¥€ के लिठसरà¥à¤µà¤¦à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤à¤•à¤°à¥€ है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ कहा कि à¤à¤—वान पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के हदà¥à¤¯ मे विराजमान परनà¥à¤¤à¥ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ को इसका बोध नही है। कलियà¥à¤— मे पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ मे जंजाल मे फसकर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कषà¥à¤Ÿà¥‹ से घिरता जा रहा है। à¤à¤¸à¥‡ में मातà¥à¤° शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤à¤—वत ही à¤à¤µà¤¸à¤¾à¤—र की वैतरणी है। जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के समूल पापो का शमनॠकर पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मातà¥à¤° का लौकिक व आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• विकास करती है। सà¤à¥€ को कथा का शà¥à¤°à¤µà¤£ कर इसके पà¥à¤°à¤¸à¤‚गो को वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° मे शामिल करना चाहिà¤à¥¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जो दीनदà¥à¤–ी दीनानाथ के दरबार मे दसà¥à¤¤à¤• देता है उसका कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ सà¥à¤µà¤‚य पà¥à¤°à¤à¥ शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ करते है। इस अवसर पर सà¥à¤®à¤¨ देवी, ननà¥à¤¦à¤¿à¤¨à¥€ देवी, सतà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ जखमोला, मनोज जखमोला, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ राजेश गिरि, पहलवान बाबा, ऋतॠदेवी, रेखा देवी, शिवानी कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€, सविता देवी, पदà¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¤à¥€ देवी, पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¾ देवी, गोरी देवी, विदितॠशरà¥à¤®à¤¾, दीपकनाथ गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€, पारà¥à¤·à¤¦ अनिल मिशà¥à¤°à¤¾ सहित सैकड़ो शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹ ने शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤à¤—वत कथा का शà¥à¤°à¤µà¤£ किया।