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20 से 27 दिसम्बर के मध्य गुरु गोबिंद सिंह जी के पूरे परिवार की कुर्बानी


इतिहास के पन्नों पर कुर्बानियों की स्वर्णीम इबारत लिखी है और हमेशा लिखी रहेगी-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

रिपोर्ट  - ALL NEWS BHARAT

ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज सिख धर्म के 10 वें गुरू गुरूगोबिंद सिंह जी और उनके पूरे परिवार को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि गुरू गोबिंद सिंह जी का पूरा परिवार इस सप्ताह, 20 से 24 दिसम्बर के बीच शहीद हो गया था। पूरे परिवार ने अपने राष्ट्र की अस्मिता, गरिमा और अखंडता को बचाने के लिये अपना बलिदान कर दिया, ऐसे बलिदानी परिवार को कोटि-कोटि नमन और श्रद्धांजलि। स्वामी जी ने कहा कि माता गूजरी जी और गुरूगोबिंद सिंह जी के दोनों छोटे बलिदानी पुत्रों तथा गुरु गोबिंद सिंह जी की कुर्बानियों का यह सप्ताह केवल सिख इतिहास में ही नहीं बल्कि भारत के इतिहास के लिये भी गौरव का दिन है। भारत की मिट्टी ने ऐसे बलिदानियों को जन्म दिया जो अपनी मातृभूति के लिये हँसते-हँसते अपने परिवार को कुर्बान कर गये। गुरु गोबिंद सिंह जी की कुर्बानियों को यह राष्ट्र हमेशा गर्व के साथ याद करेगा। इतिहास के पन्नों पर कुर्बानियों की स्वर्णीम इबारत लिखी है और हमेशा लिखी रहेगी। सन् 1704 में आनंदपुर पर हमले के पश्चात सरसा नदी पर जो घटा उसने एक गौरवशाली इतिहास लिख दिया। उस समय पूरा परिवार बिछुड़ गया। सरसा नदी पर बिछुड़े माता गुजरी जी, 7 वर्ष के शहीद जोरावर सिंह जी एवं 5 वर्ष के शहीद फतह सिंह जी को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें सरहंद के नवाब वजीर खां के समक्ष पेश कर कैद कर दिया गया। उन्हें कई दिन तक धर्म परिवर्तन के लिए कई प्रकार की धमकियां देते रहें परन्तु दोनों पुत्रों ने अन्याय और अधर्म के लिये अपना सिर नहीं झुकाया, अततः 26 दिसंबर 1704 को वजीर खां ने उन्हें जिंदा चुनवा दिया। यह पूरा सप्ताह भारत के इतिहास का शहीदी सप्ताह है। हम सब भारत वासी भारत की एकता और अखंडता को बनाये रखे और सदभाव के साथ रहें यही शहीदी परिवार को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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