संतानदायिनी शकà¥à¤¤à¤¿ शिरोमणि माता अनसूया का दो दिवसीय मेला विधि विधान व पूजा-पाठके साथ सोमवार को शà¥à¤°à¥‚ हो गया।
रिपोर्ट - अंजना à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ घिलà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤²
चमोली 28 दिसमà¥à¤¬à¤°,2020, संतानदायिनी शकà¥à¤¤à¤¿ शिरोमणि माता अनसूया का दो दिवसीय मेला विधि विधान व पूजा-पाठके साथ सोमवार को शà¥à¤°à¥‚ हो गया। दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ जयंती के अवसर पर होने वाले इस मेले में 6 देवियों की डोलियां à¤à¥€ सती मां अनसूया के दरवार पहà¥à¥…ची। माॅ अनसूया मंदिर में दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ जयंती पर समà¥à¤®à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ से हर वरà¥à¤· निसंतान दंपतà¥à¤¤à¤¿ और à¤à¤•à¥à¤¤à¤œà¤¨ अपनी मनोकामना पूरà¥à¤£ करने के लिठपहà¥à¥…चते है लेकिन कोविड के चलते इस बार संतान कामना के लिठबरोहियों (निसंतान दंपति) को मंदिर में रातà¥à¤°à¤¿ जागरण की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ नही है वही सीमित संखà¥à¤¯à¤¾ में ही तीरà¥à¤¥ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जाने के अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ दी गई है। अनसूया मंदिर पूरे सालà¤à¤° खà¥à¤²à¤¾ रहता है और à¤à¤•à¥à¤¤à¤œà¤¨ अनà¥à¤¯ किसी à¤à¥€ दिन यहाॅ अपनी तपसà¥à¤¯à¤¾ कर मनौती मांग सकते है। जिला पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ ने मेले के दौरान पूरे पैदल मारà¥à¤— पर à¤à¥€ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤–à¥à¤¤à¤¾ इंतेजाम किठहै। विदित हो कि पौराणिक काल से दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ जंयती पर हर वरà¥à¤· सती माता अनसूया में दो दिवसीय मेला लगता है। माॅ अनà¥à¤¸à¥‚या मेले में निसंतान दंपतà¥à¤¤à¤¿ और à¤à¤•à¥à¤¤à¤œà¤¨ अपनी मनोकामना पूरà¥à¤£ करने के लिठपहà¥à¥‚चते है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि मां के दर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। मां सबकी à¤à¥‹à¤²à¥€ à¤à¤°à¤¤à¥€ है। इसलिठनिसंतान दंपतà¥à¤¤à¤¿ पूरी रात जागकर मां की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर करते है। पौराणिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इस मंदिर में जप और यजà¥à¤ž करने वालों को संतान की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। इसी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, इसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर माता अनसूया ने अपने तप के बल पर तà¥à¤°à¤¿à¤¦à¥‡à¤µ (बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥à¤£à¥ और शंकर) को शिशॠरूप में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ कर पालने में खेलने पर मजबूर कर दिया था। बाद में काफी तपसà¥à¤¯à¤¾ के बाद तà¥à¤°à¤¿à¤¦à¥‡à¤µà¥‹à¤‚ को पà¥à¤¨à¤ƒ उनका रूप पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया और फिर यहीं तीन मà¥à¤– वाले दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ का जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤ इसी के बाद से यहां संतान की कामना को लेकर लोग आते हैं। यहां दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ मंदिर की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ की गई है। बताते है कि बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥à¤£à¥ और महेश ने मां अनà¥à¤¸à¥‚या के सतीतà¥à¤µ की परीकà¥à¤·à¤¾ लेनी चाही थी, तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तीनों को शिशॠबना दिया। यही तà¥à¤°à¤¿à¤°à¥‚प दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ à¤à¤—वान बने। उनकी जयंती पर यहां मेला और पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ होती है।