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हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में 'लोकतंत्र और सोशल मीडिया' विषय पर एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन


हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से 'लोकतंत्र और सोशल मीडिया' विषय पर एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया . इस अवसर पर राजनीति विज्ञान के शिक्षकों एवं शोधार्थियों व अन्य विद्यार्थियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। परिचर्चा का संचालन शोध छात्रा कनिका बड़वाल एवं रिपोर्टिंग शोध छात्रा कु. नीलम द्वारा किया गया।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से 'लोकतंत्र और सोशल मीडिया' विषय पर एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर राजनीति विज्ञान के शिक्षकों एवं शोधार्थियों व अन्य विद्यार्थियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। परिचर्चा का संचालन शोध छात्रा कनिका बड़वाल एवं रिपोर्टिंग शोध छात्रा कु. नीलम द्वारा किया गया। चर्चा के आरंभ में शोध छात्र लक्ष्मण प्रसाद ने कहा कि आधुनिक युग में सोशल मीडिया जनमानस की वैचारिक अभिव्यक्ति के सशक्त उपकरण के रूप में उभर कर सामने आया है और सोशल मीडिया लोकतंत्र को मजबूत बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है । शोध छात्र सौरभ गुप्ता ने कहा कि बिना मीडिया के डेमोक्रेसी अधूरी सी लगती है। डेमोक्रेसी और मीडिया एक ही सिक्के के दो पहलू हैं अतः बिना मीडिया के डेमोक्रेसी को परिभाषित करना उचित नही होगा। स्नातक छात्र अखिलेश ने कहा कि आज के दौर में सोशल मीडिया अभिव्यक्ति की आज़ादी का शसक्त माध्यम है वहीं प्रचलित मीडिया लोकतंत्र की पहरेदारी करने में नाकाफी साबित हो रहा है । शेखर नेगी ने कहा कि सोशल मीडिया से ही हम अनुच्छेद 19 के तहत प्राप्त अभिव्यक्ति की आजादी का उपयोग आम जीवन में कर पाते हैं । रोहित प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया और लोकतंत्र एक दूसरे के पूरक हैं जिसने हाशिये पर खड़े व्यक्ति को इस पूरी प्रक्रिया में शामिल किया है । सौरभ सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया की पिछले आम चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका रही है यही कारण है कि राजनीतिक दल इसके माध्यम से जनमत को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं ।मेघा रावत ने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया की आज प्रत्येक क्षेत्र में भूमिका बढ़ गयी है और यह जिस तरह से मानव के राजनीतिक व्यवहार को प्रभावित कर रहा है इस परिस्थिति में इसे अधिक जिम्मेदार होने की जरूरत है । राधिका नेगी ने कहा कि सोशल मीडिया सी.गवर्नेंस (सिटीज़न गवर्नेंस) को बढ़ावा देती है जिससे जनता व्यवस्था के केंद्र में आ रही है । अंकित ने कहा कि लोकतंत्र में सोशल मीडिया एक तरह से जनता को सशक्त विपक्ष की भूमिका प्रदान कर रहा है । विभागाध्यक्ष प्रो. एम.एम. सेमवाल ने अंत मे सारगर्भित रूप से अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौर में सोशल मीडिया एक तरह से लोकतंत्र का पांचवा स्तंभ बन गया है। डेमोक्रेसी शब्द का आशय जनता के शासन से है लेकिन कोई भी समाज अपने आप को तब तक पूर्ण रूप से लोकतंत्र नही कह सकता जब तक कि वह सिर्फ कुछ ही क्षेत्रों में लोकतंत्र की पद्धति का उपयोग करता है और दूसरे क्षेत्रों में स्वेच्छाचारिता करता है। सोशल मीडिया में जब फेक न्यूज़ की बात होती है तो हमें यह समझना चाहिए कि कोई भी न्यूज़ फेक नहीं होती उसके कंटेंट्स फेंक होते हैं और यही सोशल मीडिया भी में एक चिंता का विषय है। आज के दौर में हर एक राजनीतिक दल का अपना एक सोशल सेल बना हुआ है जो 'पॉलीटिकल टेंपरेचर' मापने का एक सशक्त साधन है। पारम्परिक मीडिया जिस तरह से व्यवहार कर रहा है उससे कहीं ना कहीं हमारा लोकतंत्र कमजोर होता जा रहा है। दूसरी तरफ राजनेताओं को भी जनता से पारस्परिक संवाद करना चाहिए न कि एकतरफा । यह स्पष्ट है कि सोशल मीडिया में व्याप्त तमाम तरह की विसंगतियों को दूर करने के साथ ही इसकी जवाबदेही तय करके लोकतांत्रिक व्यवस्था में इसके महत्व को सही रूप में स्थापित किया जा सकता है इसके लिए नियामकी संस्था के गठन की ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए । इसके साथ ही हमें विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग करते समय बेहद संवेदनशील होकर कार्य करना चाहिए। इस एक दिवसीय परिचर्चा कार्यक्रम को पूरे राजनीति विज्ञान विज्ञान के विद्यार्थियों के बीच काफी पसंद किया जा रहा है यही कारण है कि अभी विश्वविद्यालय में नए प्रवेश पाने वाले विद्यार्थी बड़ी संख्या में इसमें भागीदारी कर रहे हैं जिससे ना सिर्फ उनका बौद्धिक विकास हो रहा है बल्कि वे अपने संवाद कौशलों को भी निखार रहे हैं । इस अवसर पर स्नातक ,स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित रहे ।

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