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श्रीराम जन्मभूमि को धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक बनाने के प्रयास आत्मघाती सिद्ध होंगे-यति नरसिंहानंद सरस्वती


शिवशक्ति धाम डासना के अधिष्ठाता ने अपने रक्त से पत्र लिखकर विरोध जताया और अन्न त्याग करके प्राणदान करने का संकल्प लिया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

शिवशक्ति धाम डासना के अधिष्ठाता यति नरसिंहानंद सरस्वती जी महाराज ने श्रीराम जन्मभूमि पर बनने वाले भव्य मंदिर के धर्मनिर्पेक्षिकरण का विरोध किया और इसके लिये आज उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी,विहिप प्रमुख आलोक कुमार जी,श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महामंत्री चम्पतराय जी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज को अपने रक्त से पत्र लिखकर अपना विरोध भी दर्ज करवाया। उन्होंने अपने रक्त से लिखे पत्र के माध्यम से कहा कि श्रीराम जन्मभूमि पर बनने वाला मन्दिर इस्लामिक जिहादियों द्वारा हम हिन्दुओ पर किये गए अत्याचारों और हम हिन्दुओ द्वारा किये गए संघर्ष का प्रतीक होना चाहिये न कि धर्म निरपेक्षता का।श्रीराम जन्मभूमि के लिये गैर हिन्दुओ से दान मांगना उन सभी अमर बलिदानियों का अपमान है जिन्होंने श्रीराम जन्मभूमि के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।वो क़ौम समाप्त हो जाती है जो क़ौम के लिये बलिदान देने वाले योद्धाओं के साथ विश्वासघात करती है।आरएसएस,संघ और बीजेपी के नेताओ को समझना चाहिये कि भारतवर्ष की हिन्दू जनता का अपार जनसमर्थन भव्य श्रीराम मंदिर के आंदोलन को मिला था न कि धर्मनिरपेक्षता के किसी प्रतीक को।यह स्वयं भगवान श्रीराम के साथ भी धोखा है। उन्होंने रक्तलिखित पत्र में इन सभी से इस जिद को छोड़कर धर्म की रक्षा करने का अनुरोध किया और यह भी कहा कि अगर यह धर्म विरुद्ध कार्य किया गया तो भारत भूमि से सनातन धर्म के समूल विनाश को कोई नहीं रोक सकेगा। यति नरसिंहानंद सरस्वती जी ने अपने शिष्यों से कहा कि वो जानते है कि उनके अन्न त्याग का किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा पर आने वाला समय ये याद रखेगा की जब हिन्दू धर्म और श्रीराम के साथ विश्वासघात कर रहे थे तो कुछ लोग ऐसे भी थे जो इस विश्वासघात का विरोध कर रहे थे। शिवशक्ति धाम के सन्यासियों ने यह तय किया है कि वो पूरे देश मे घूम घूम कर अपने गुरु के लिये समर्थन मांगेंगे और सभी धर्मगुरुओं से मिलकर उनका साथ देने का अनुरोध करेंगे।

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