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इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, तो मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न?


दिवाली पर जिस जातक का घर साफ सुथरा होता है मां लक्ष्मी उसी के घर आती हैं और उसी व्यक्ति पर कृपा करती हैं. लेकिन जिसका घर साफ सुथरा नहीं होता है मां लक्ष्मी दरवाजे के बाहर से ही लौट जाती हैं.

रिपोर्ट  - à¤†à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ विष्णु

इस दिन लोग मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं | हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी दिवाली के दिन पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं और इसी समय वो लोगों के घरों में भी जाती हैं | यही वजह है कि लोग दिवाली से पहले घर की साफ सफाई करते हैं, रंग रोगन करवाते हैं और घर की सजावट करते हैं| मान्यता है कि जिस जातक का घर साफ सुथरा होता है मां लक्ष्मी उसी के घर आती हैं और उसी व्यक्ति पर कृपा करती हैं. लेकिन जिसका घर साफ सुथरा नहीं होता है मां लक्ष्मी दरवाजे के बाहर से ही लौट जाती हैं| दिवाली में लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है इस बार दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम के वक्त है. लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजाकर 42 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 11 मिनट तक चलेगा.दिवाली के दिन प्रदोष काल में पूजा करनी भी शुभ मानी जाती है. प्रदोष काल शाम 5 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 11 मिनट तक चलेगा.वृषभ काल शाम 7 बजकर 42 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 37 मिनट तक चलेगा.अमावस्या तिथि 27 अक्टूबर को 12 बजकर 23 मिनट से लग जाएगी.अमावस्या तिथि का समापन 28 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर होगा.लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया, खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ दिवाली पर मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए विशेष दिन है. इस दिन मां लक्ष्मी के मंत्र 'ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:'का 108 बार जाप करना चाहिए.धार्मिक कथाओं के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी का आगमन हुआ था. एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म दिवस होता है. कुछ स्थानों पर इस दिन को देवी लक्ष्मी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है.पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम इसी दिन लंका पर विजय प्राप्त कर और अपने 14 वर्ष का वनवास पूरा करके वापस अयोध्या लौटे थे. उनके आने की खुशी में पूरे राज्य को दीपों से सजाया गया था. तभी से यह त्योहार मनाया जाता है. लोग इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा भी करते हैं. कहा जाता है कि धन की देवी मां लक्ष्मी इस दिन घर में प्रवेश करती हैं. इस दिन धन-संपदा और शांति के लिए लक्ष्मी और गणेश भगवान की विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है.

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