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हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में तीन  दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ 


हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग  में  शोध  प्रविधि विषय पर तीन  दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ  किया गया।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग  में  शोध  प्रविधि विषय पर तीन  दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ  किया गया। इस में कार्यक्रम मानविकी एवं समाज विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रोफ़ेसर सी. एस. सूद और मुख्य वक्ता पूर्वसंकायाध्यक्ष, मानविकी एवं समाज विज्ञान संकाय एवं पूर्व छात्र अधिष्ठाता कल्याण, गढ़वाल विश्वविद्यालय प्रोफेसर जे. पी. पचौरी मौजूद रहे।  राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एमएम सेमवाल ने कहा कि राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा कोरोना त्रासदी के समय में कई कार्यक्रमो, व्याख्यानमालाओ का आयोजन ऑनलाइन मंचों पर किया जा रहा। उनके द्वारा कार्यशाला में होने वाले व्याख्यान की विस्तृत जानकारी दी गयी। और कहा कि किसी भी समाज के बेहतर विकास के लिए शोध का होना बहुत जरूरी है तभी सटीक नीतियों और योजनाओं का निर्माण होता है। यह कार्यशाला शोध की आधारभूत जानकारी के लिए आयोजित किया गया है। प्रोफेसर सी. एस. सूद ने कहा कि शोध एक विधि है और यह एक विधिवत संगठित वैज्ञानिक प्रक्रिया है। एक बेहतर शोध के लिए वैज्ञानिक और स्पष्ट होना बहुत आवश्यक है। इन्ही पर शोध के परिणाम निर्भर करते है। कार्यक्रम  के प्रथम सत्र में  प्रोफेसर जे. पी. पचौरी  के द्वारा  शोध प्राविधि की आधारभूत जानकारी दी गयी । उन्होंने  कहा कि शोध किसी घटना और तथ्य के बारे में व्यवस्थित तरीके से अनुशासित होकर  नयी जानकारी प्राप्त करना है। शोध - कोई सामाजिक घटना  क्या है, कैसे हो रही है और किसी घटना का कारण जानने की कोशिश करना है। शोध के माध्यम से नए सिद्धांत और तथ्य सामने आते है। शोध  किसी समस्या को व्यवस्थित तरीके से हल करना है । कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में  सिनोप्सिस ( शोध प्रस्ताव) विषय पर विस्तार से चर्चा की गयी। प्रोफेसर पचौरी ने बताया कि किस प्रकार अपना शोध विषय चुना जाना चाहिए और दुनिया भर में उस पर हुए काम को जानने के लिए साहित्य की समीक्षा पर विशेष ध्यान देना  बहुत जरूरी है। इस से पता चलता है कि कहाँ शोध करने की जरूरत है और कहाँ पहले काम हो चुका है। इस व्याख्यान के बाद छात्रों द्वारा किये गए प्रश्नों का जवाब मुख्य वक्ता प्रो० पचौरी द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालय के  शोध छात्र- छात्राओं  व अध्यापकणों ने प्रतिभाग किया। इस कार्यशाला के लिए देश भर के 12 राज्यों के 18 विश्वविद्यालयों के 308 छात्रों ने पंजीकरण किया था। इस मौके पर  प्रो० आर० एन गैरोला, प्रो० राकेश काला, प्रो० हिमांशु बौड़ाई, प्रो० किरन डंगवाल, डॉ राकेश नेगी, प्रोफेसर सुनील खोखला, डॉ राखी पंचोला डॉ राजेश पालीवाल, प्रोफेसर यूसी गैरोला, आदि मौजूद थे।

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