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हेमवतीनंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय वर्कशॉप


तीन दिवसीय राष्ट्रीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया । जिसमें गढ़वाल विश्वविद्यालय के साथ -साथ देशभर के विश्वविद्यालयों से शिक्षक ,शोधार्थी तथा अन्य विद्यार्थी जुड़े ।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवतीनंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा रिसर्च मेथडोलॉजी पर 10 से 12 फरवरी 2021 तक तीन दिवसीय राष्ट्रीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया । जिसमें गढ़वाल विश्वविद्यालय के साथ -साथ देशभर के विश्वविद्यालयों से शिक्षक ,शोधार्थी तथा अन्य विद्यार्थी जुड़े । इस वर्चुअल वर्कशॉप का उद्देश्य शोध तथा अनुसंधान के क्षेत्र में इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की मदद से शोधार्थियों को नवीन तथा व्यवहारिक ज्ञान से अवगत कराना था । 10 फरवरी को इस वर्कशॉप का उद्घाटन करते हुए राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एम.एम. सेमवाल ने कहा कि जब कोरोना महामारी के दौर में ऐसे तमाम आयोजनों पर रोक लगी है ऐसे समय मे निश्चित रूप से शोधार्थियों की शंका एवं उनकी समस्याओं का समाधान करेगा । इसी उद्देश्य को मध्यनजर रखते हुए हमारा विभाग ऐसे आयोजनों को महत्व देता रहा है ताकि इस विपक्ष परिस्थिति में भी शोधार्थियों पर इसका नकारात्मक असर ना पड़े । इस वर्कशॉप के पहले तथा दूसरे सत्र के वक्ता प्रोफेसर जे.पी. पचौरी (Former Dean , School of Humanities and Social Sciences) थे जिन्होंने अपना पहला व्याख्यान 'शोध तथा इसके महत्व ' तथा दूसरे सत्र का व्याख्यान 'शोध रूपरेखा तैयार करने के लिए बुनियादी कदम ' विषय पर प्रस्तुत किया । अपने व्याख्यान में उन्होंने शोध से जुड़ी मूलभूत किंतु जरूरी बातों का उल्लेख किया । इसमें उन्होंने शोध आरंभ करने के जरूरी प्रश्नों से लेकर ,इसकी प्रविधियों ,मेथोडोलॉजी ,शोध प्रारूप ,शोध के प्रकारों ,परिकल्पना तथा शोध लेखन जैसे बिंदुओं पर सार रूप में व्याख्यान दिया एवं श्रोताओं के प्रश्नों का भी उत्तर दिया । दूसरे दिन एवं तीसरे ,चौथे सत्र के वक्ता प्रो. के.एन. जेना ने पहले सत्र में 'शोध में दार्शनिक मूल और एथिकल मूल के गुरुत्वाकर्षण को समझना ' इस विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया । उन्होंने शोध कार्य के अंतर्गत शोध दर्शन के महत्व और इसके उपयोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अगर कोई घटना घटती है तो उसे हम उसकी प्रत्यक्ष रूप से व्याख्या करते हैं लेकिन इस घटना के पीछे जो कारण होते है उसे नहीं देखते हैं।घटना के पीछे जो आधार (Research foundation) है उसे हमेशा नजरअंदाज कर दिया जाता है। जहां शोध का आधार होता है वहां हमेशा शोध दर्शन छिपा होता है ।

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