कà¥à¤‚ठमेले में अखाड़ों की पेशवाई निकलने के कà¥à¤°à¤® में आज à¤à¤¸à¤à¤®à¤œà¥‡à¤à¤¨ कालेज परिसर असà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ छावनी से आननà¥à¤¦ अखाड़े के नागा सनà¥à¤¸à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व संतों की जमात पूरे धूमधाम से निकाली गयी।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 5 मारà¥à¤šà¥¤ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में आयोजित हो रहे कà¥à¤‚ठमेले में अखाड़ों की पेशवाई निकलने के कà¥à¤°à¤® में आज à¤à¤¸à¤à¤®à¤œà¥‡à¤à¤¨ कालेज परिसर असà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ छावनी से आननà¥à¤¦ अखाड़े के नागा सनà¥à¤¸à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व संतों की जमात पूरे धूमधाम से निकाली गयी। अखाड़े के इषà¥à¤Ÿ सूरà¥à¤¯ देव की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के बाद रवाना हà¥à¤ˆ जमात की अगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ आननà¥à¤¦ पीठाधीशà¥à¤µà¤° आचारà¥à¤¯ महामणà¥à¤¡à¤²à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बालकानंद गिरी महाराज ने की। बैणà¥à¤¡ बाजों के साथ निकली जमात में सबसे आगे अखाड़े की धरà¥à¤®à¤§à¥à¤µà¤œà¤¾, उसके पीछे फूलों से सजी बगà¥à¤˜à¥€ पर विराजमान आचारà¥à¤¯ महामणà¥à¤¡à¤²à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° बालकानंद गिरी महाराज चल रहे थे। उसके बाद हाथी, घोड़ों व ऊंट पर सवार अखाड़े के अनà¥à¤¯ संत चल रहे थे। जमात में यà¥à¤¦à¥à¤§ कौशल का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ कर रहे नागा सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को देखने के लिठपूरे रासà¥à¤¤à¥‡ पर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं की à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¥œ जमा रही। जगह-जगह लोगों ने संतों का सà¥à¤µà¤¾à¤—त कर आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ लिया। जमात के शà¥à¤à¤¾à¤°à¤‚ठपर जिला अधिकारी सी.रविशंकर, मेला अधिकारी दीपक रावत, अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह, मेला आईजी संजय गà¥à¤‚जà¥à¤¯à¤¾à¤², à¤à¤¸à¤à¤¸à¤ªà¥€ सेंथिल अबदà¥à¤ˆ कृषà¥à¤£à¤°à¤¾à¤œ à¤à¤¸, à¤à¤¸à¤ªà¥€ सिटी कमलेश उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ आदि ने à¤à¥€ पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ में à¤à¤¾à¤— लेकर संतों का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ लिया। à¤à¤¸à¤à¤®à¤œà¥‡à¤à¤¨ कालेज से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ जमात चंदà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ चैक, शंकर आशà¥à¤°à¤®, सिंहदà¥à¤µà¤¾à¤°, कृषà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤—र, बंगाली मोड़, शंकराचारà¥à¤¯ चैक, तà¥à¤²à¤¸à¥€ चैक, शिवमूरà¥à¤¤à¤¿ होते हà¥à¤ अखाड़े की छावनी में संपनà¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¥¤ जमात के दौरान कड़े सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध किठगठथे। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के साथ रैपिड à¤à¤•à¥à¤¶à¤¨ फोरà¥à¤¸ के जवानों को à¤à¥€ तैनात किया गया था। कà¥à¤‚ठमेला आईजी संजय गंà¥à¤œà¥à¤¯à¤¾à¤², मेला à¤à¤¸à¤à¤¸à¤ªà¥€ जनमेजय खणà¥à¤¡à¥‚री, जिले के पà¥à¤²à¤¿à¤¸ कपà¥à¤¤à¤¾à¤¨ सेंथिल अबà¥à¤¦à¤ˆ कृषà¥à¤£à¤°à¤¾à¤œ à¤à¤¸, à¤à¤¸à¤ªà¥€ सिटी कमलेश उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ आदि सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¬à¤‚धों का जायजा लेते रहे। आननà¥à¤¦ पीठाधीशà¥à¤µà¤° आचारà¥à¤¯ महामणà¥à¤¡à¤²à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बालकानंद गिरी महाराज ने सà¤à¥€ को कà¥à¤‚ठमेले की बधाई देते हà¥à¤ कहा कि आदि शंकराचारà¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ अखाड़ा परंपरा के तहत अनादि काल से अखाड़े धरà¥à¤® संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾ का उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ निà¤à¤¾ रहे हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि कà¥à¤‚ठके दौरान निकलने वाली अखाड़ों की पेशवाई सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विशेषताओं को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करती है। जिन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ चार सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर कà¥à¤‚ठका आयोजन होता है। उनमें हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤®à¥à¤– तीरà¥à¤¥ है। à¤à¤—वान शिव की नगरी हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° है तथा उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ चार धाम सनातन धरà¥à¤® का गौरव हैं। सà¤à¥€ को तीरà¥à¤¥ की मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठसदैव संकलà¥à¤ªà¤¬à¤¦à¥à¤§ रहना चाहिà¤à¥¤ अखिल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ अखाड़ा परिषद के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त नरेंदà¥à¤° गिरी महाराज ने पेशवाई के लिठआननà¥à¤¦ अखाड़े को बधाई देते हà¥à¤ कहा कि जमात के रूप में अपने ईषà¥à¤Ÿà¤¦à¥‡à¤µ के साथ नागा संयासियों व संतों का छावनी पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कà¥à¤‚ठका महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ चरण है। नागा संयासियों व संत महापà¥à¤°à¥‚षों के छावनी पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के बाद ही कà¥à¤‚ठमेला सही रूप में शà¥à¤°à¥‚ होता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि कà¥à¤‚ठदरà¥à¤¶à¤¨ से à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के मन में शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ व उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ बà¥à¤¤à¤¾ है। जिससे व धरà¥à¤® के मारà¥à¤— पर अगà¥à¤°à¤¸à¤° होते हैं। कà¥à¤‚ठमेला संपूरà¥à¤£ विशà¥à¤µ को धरà¥à¤® का सकारातà¥à¤®à¤• संदेश पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है। निरंजनी अखाड़े के सचिव शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त रविनà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥€ महाराज व शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि निंरजनी के बाद आननà¥à¤¦ अखाड़े के संतों के छावनी पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के साथ कà¥à¤‚ठसे जà¥à¥œà¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• गतिविधियां तेजी से शà¥à¤°à¥‚ हो जाà¤à¤‚गी। कà¥à¤‚ठपरà¥à¤µ आसà¥à¤¥à¤¾ का केंदà¥à¤° बिनà¥à¤¦à¥ है। गंगा के तट पर किठगठअनà¥à¤·à¥à¤ ान अवशà¥à¤¯ ही कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ होते हैं। कोरोना काल के चलते à¤à¥€ बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में संत महापà¥à¤°à¥‚षों के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठà¤à¥€à¥œ उमड़ रही है। संत महापà¥à¤°à¥‚षों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आमजन की आसà¥à¤¥à¤¾ सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की विशेषताओं को दरà¥à¤¶à¤¾ रही है। देश की आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• राजधानी हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं को संत महापà¥à¤°à¥‚षों के दिवà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ का लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो रहा है। पेशवाई के दौरान म.म. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤°à¥‡à¤‚दà¥à¤°à¤—िरी, म.म. साधà¥à¤µà¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤²à¤¤à¤¾ गिरी, साधवी कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ पà¥à¤°à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ आननà¥à¤¦ गिरी, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ गजानंद गिरी, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त सागरानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त गिरिजानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त à¤à¥ˆà¤°à¤¾à¤—िरी, महंत कालूगिरी, महंत शंकरानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ आनंद गिरी, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त ओंकार गिरी, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त दिनेश गिरी, महंत नरेश गिरी, महंत नीलकंठगिरी, महंत राधे गिरी, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त महंत लखन गिरी, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ आलोक गिरी, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤‚द गिरी, महंत मनीष à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ नतà¥à¤¥à¥€à¤¨à¤‚द गिरी, आचारà¥à¤¯ मनीष जोशी, दिगंबर बलबीर पà¥à¤°à¥€, दिगंबर राजपà¥à¤°à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रघà¥à¤µà¤¨, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ मधà¥à¤°à¤µà¤¨, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविवन, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ नीरज गिरी आदि सहित बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में संत महापà¥à¤°à¥‚ष शामिल रहे। जयराम पीठाधीशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€, निरà¥à¤®à¤² पीठाधीशà¥à¤µà¤° शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¦à¥‡à¤µ सिंह शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, निरà¥à¤®à¤² अखाड़े के कोठारी महंत जसविनà¥à¤¦à¤° सिंह, महंत देवेंदà¥à¤° सिंह, मà¥à¤–िया महंत à¤à¤—तराम, महंत जगतार मà¥à¤¨à¤¿, महानिरà¥à¤µà¤¾à¤£à¥€ अखाड़े के सचिव महंत रविनà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदविलासानंद, महंत दामोदर दास, महंत निरà¥à¤®à¤² दास, महंत रूपेंदà¥à¤° पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, म.म.सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ कपिल मà¥à¤¨à¤¿, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ऋषिशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤‚द, महंत अमनदीप सिंह सहित पूरे संत समाज ने पेशवाई का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया।