पूरा जीवन वेदानà¥à¤¤, आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® और हिनà¥à¤¦à¥‚ दरà¥à¤¶à¤¨ पर आधारित था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ने देश के यà¥à¤µà¤¾à¤“ं का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि सतà¥à¤¯, पà¥à¤°à¥‡à¤®, करूणा और शà¥à¤šà¤¿à¤¤à¤¾ का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ कर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को अपने जीवन का अंग बनाये।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° 4 अपà¥à¤°à¥ˆà¤²à¥¤ परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने ‘अमर मà¥à¤¨à¤¿ धाम’ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामतीरà¥à¤¥ मिशन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संचालित के उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ अवसर पर सहà¤à¤¾à¤— कर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ जन समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ किया। इस पावन अवसर पर सर संघचालक मोहन à¤à¤¾à¤—वत , आचारà¥à¤¯ बालकृषà¥à¤£ , योगी बालकनाथ जी, ड़ाॅ ललित मलà¥à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¾ जी पूजà¥à¤¯ संतों और गणमानà¥à¤¯ अतिथियों ने सहà¤à¤¾à¤— कर अपने विचार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किये। इस पावन अवसर पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने कहा कि इस समय में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामतीरà¥à¤¥ जी के विचारों के वैकà¥à¤¸à¥€à¤¨ की जरूरत है। जिसमें à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के वैकà¥à¤¸à¥€à¤¨ की अतà¥à¤¯à¤‚त आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है ताकि इस कोरोना काल में जनमानस में करूणा उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो सके। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामतीरà¥à¤¥ जी à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ पावन चरितà¥à¤° थे जिनकी मन, वाणी और सेवा कारà¥à¤¯à¥‹ से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की गंगा बहती थी। उनका आदरà¥à¤¶ वाकà¥à¤¯ ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥‚मि मेरा शरीर है, कनà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ मेरे पैर हैं और हिमालय मेरा सिर’ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और देशसेवा का जीवंत उदाहरण पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करता है। उनका पूरा जीवन वेदानà¥à¤¤, आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® और हिनà¥à¤¦à¥‚ दरà¥à¤¶à¤¨ पर आधारित था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ने देश के यà¥à¤µà¤¾à¤“ं का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि सतà¥à¤¯, पà¥à¤°à¥‡à¤®, करूणा और शà¥à¤šà¤¿à¤¤à¤¾ का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ कर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को अपने जीवन का अंग बनाये। सर संघचालक मोहन à¤à¤¾à¤—वत जी ने कहा कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामतीरà¥à¤¥ का à¤à¤• ही लकà¥à¤·à¥à¤¯ था- समाज को जागरà¥à¤• करना और सामाजिक कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को दूर करना। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी, योगी बालक नाथ जी और आचारà¥à¤¯ बालकृषà¥à¤£ जी ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और शà¥à¤šà¤¿à¤¤à¤¾ यà¥à¤•à¥à¤¤ जीवन जीने वाले सर संघचालक मोहन à¤à¤¾à¤—वत जी को रूदà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· का पौधा देकर उनका अà¤à¤¿à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¨ किया।