शà¥à¤°à¥€ राम कथा के छठे दिन विजय कौशल महाराज ने कहा कि शबरी ने 60-70 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक निरंतर à¤à¤—वान की आराधना की और उनके आने की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ की, तब जाकर à¤à¤—वान ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ उनकी कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ पर पहà¥à¤‚चकर दरà¥à¤¶à¤¨ दिà¤à¥¤ संत पà¥à¤°à¤µà¤° ने कहा कि अहंकार नहीं होना चाहिठऔर लेने वाले के मन में तृपà¥à¤¤à¤¿ संतोष का à¤à¤¾à¤µ होना चाहिà¤à¥¤
रिपोर्ट -
à¤à¤—वान ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ उनकी कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ पर पहà¥à¤‚चकर दरà¥à¤¶à¤¨ दिà¤à¥¤ संत पà¥à¤°à¤µà¤° ने कहा कि अहंकार नहीं होना | शà¥à¤°à¥€ राम कथा के छठे दिन विजय कौशल महाराज ने कहा कि शबरी ने 60-70 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक निरंतर à¤à¤—वान की आराधना की और उनके आने की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ की, तब जाकर à¤à¤—वान ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ उनकी कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ पर पहà¥à¤‚चकर दरà¥à¤¶à¤¨ दिà¤à¥¤ संत पà¥à¤°à¤µà¤° ने कहा कि अहंकार नहीं होना चाहिठऔर लेने वाले के मन में तृपà¥à¤¤à¤¿ संतोष का à¤à¤¾à¤µ होना चाहिà¤à¥¤ शबरी को नवधा à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का उपदेश देकर राम सीता और लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ के साथ आगे के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ करते हैं। शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤®à¤•à¤¥à¤¾ की अमृत वरà¥à¤·à¤¾ करते हà¥à¤ कहा कि नारी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ का सà¥à¤µà¤°à¥‚प होती है। जिस घर में नारी पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¿à¤¤ होती है, उस घर में दरिदà¥à¤°à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ होता है। महाराज शà¥à¤°à¥€ ने कहा कि राम बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®, जानकी à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ धरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हैं। आज धरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ अपनी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ से विमà¥à¤– होते दिख रहे हैं। हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ ने जो चरण चिहà¥à¤¨, जो परंपराà¤à¤‚ हमारे लिठछोड़ी थी, सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की थी, हमें उन पर चलना चाहिà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आगे बढ़ाना चाहिà¤à¥¤ महाराज शà¥à¤°à¥€ ने कहा कि आज धरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ अपनी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ से विमà¥à¤– होते दिख रहे हैं। हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ ने जो चरण चिहà¥à¤¨, जो परंपराà¤à¤‚ छोड़ी और सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की थी, मनà¥à¤·à¥à¤¯ को उन पर चलना चाहिà¤à¥¤ राम, लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ और सीता पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में à¤à¤¾à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤œ मà¥à¤¨à¤¿ के आशà¥à¤°à¤® में पहà¥à¤‚चते है, जहां राम à¤à¤¾à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤œ जी से आगे का रासà¥à¤¤à¤¾ पूछते हैं। à¤à¤¾à¤µ यह है कि जीवन की यातà¥à¤°à¤¾ किसी संत से ही पूछनी चाहिà¤, वही हमारा मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ कर सकते हैं। सत पà¥à¤°à¤µà¤° ने कहा कि बिना गà¥à¤°à¥ के यातà¥à¤°à¤¾ पूरी नहीं होती। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ à¤à¤—वान हमारे अंदर विराजमान है, लेकिन उसकी अनà¥à¤à¥‚ति गà¥à¤°à¥ ही कराता है। à¤à¤¾à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤œ मà¥à¤¨à¤¿ ने à¤à¤—वान राम के साथ रासà¥à¤¤à¤¾ बताने के लिठचार विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ à¤à¥‡à¤œà¥‡à¤‚, जो वासà¥à¤¤à¤µ में चारों वेद हैं। वैदिक मारà¥à¤— धरà¥à¤®, सतà¥à¤•à¤°à¥à¤® और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का मारà¥à¤— होता है। पà¥à¤°à¤à¥ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ ऋषि के आशà¥à¤°à¤® में आठऔर उनसे अपने रहने के लिठउपयà¥à¤•à¥à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पूछा। महरà¥à¤·à¤¿ बालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ ने à¤à¤—वान को रहने के 14 सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बताà¤à¤‚, कथा वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ ने कहा कि जो हमारे शरीर के अंदर ही विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ के कान, आंख, नाक, जà¥à¤¬à¤¾à¤¨, हाथ, पैर, होठ, मन, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, चितà¥à¤¤, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ कैसा होना चाहिà¤à¥¤ जिससे कि à¤à¤—वान का हमारे जीवन में पà¥à¤°à¤¾à¤•à¤Ÿà¥à¤¯ हो सके। विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि à¤à¤—वान के चरणों की वंदना करनी चाहिà¤à¥¤ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• काल में दीन- हीन, à¤à¥‚खे नंगे, रोगी, अछूत, अà¤à¤¾à¤µà¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤, उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ लोग ही à¤à¤—वान के चरण हैं। उनकी सेवा ही à¤à¤—वान की सेवा है। जिनके चरण समाज सेवा, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°- रकà¥à¤·à¤¾, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ रकà¥à¤·à¤¾, परमारà¥à¤¥, परोपकार के लिठनिकले वहीं आधà¥à¤¨à¤¿à¤• तीरà¥à¤¥ हैं। à¤à¤—वान चितà¥à¤°à¤•à¥‚ट पहà¥à¤‚चे, जहां उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देवताओं, साधà¥-संतों, ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया और कोल और किरात कंद, मूल, फल, फूल लेकर के à¤à¤—वान के पास पहà¥à¤‚चे। à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ राम जानकी के साथ à¤à¤• वृकà¥à¤· के नीचे बैठे थे। वृकà¥à¤· पर लता चढ़ी हà¥à¤ˆ थी। राम ने सीता से पूछा कि वृकà¥à¤· और लता में कौन à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ है। सीता ने कहा लता à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ है जिसे वृकà¥à¤· का सहारा मिला। राम ने कहा कि वृकà¥à¤· à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ है जिसे à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤•à¥‹à¤®à¤² लता का संग मिला। इसी बात को लेकर दोनों में विवाद हो गया कि वृकà¥à¤· और लता में कौन जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ है। तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ को बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ और उनसे पूछा कि वृकà¥à¤· और लता में कौन जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ है। तो लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ जी ने कहा सच तो यह है कि न तो लता à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ है, ना वृकà¥à¤· à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ है, à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ तो मैं हूं जो दोनों की छाया में आनंद का अनà¥à¤à¤µ कर रहा हूं।