जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मारà¥à¤— के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के विपरीत लगà¤à¤— 14 से 16 सदी के मधà¥à¤¯ चार à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ मारà¥à¤— के आचारà¥à¤¯ हà¥à¤à¥¤ जिसमें रामानà¥à¤œà¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯, माधवाचारà¥à¤¯, निमà¥à¤¬à¤•à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯, à¤à¤µà¤‚ वलà¥à¤²à¤à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤œ जी का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ आता है।
रिपोर्ट - लेखक का परिचय डा0 मà¥à¤°à¤²à¥€à¤§à¤° सिंह (सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी)
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मारà¥à¤— à¤à¤µà¤‚ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ मारà¥à¤— के अनेक आचारà¥à¤¯ हà¥à¤ है जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° आचारà¥à¤¯ हमारे दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में और à¤à¤—वान के अवतार उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हà¥à¤ है। जगत गà¥à¤°à¥ आदि शंकराचारà¥à¤¯ ने आठवीं सदी में बà¥à¤°à¤¹à¤® सतà¥à¤¯à¤® जगन मिथà¥à¤¯à¤¾ बमà¥à¤¹à¥ˆà¤µ जीवों नापरः अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ बà¥à¤°à¤¹à¤® सतà¥à¤¯ है संसार à¤à¥‚ठा है। और जीव बà¥à¤°à¤¹à¤® से अलग नहीें है। इस सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ में अदà¥à¤µà¥ˆà¤¤à¤µà¤¾à¤¦ कहा गया। इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मारà¥à¤— के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के विपरीत लगà¤à¤— 14 से 16 सदी के मधà¥à¤¯ चार à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ मारà¥à¤— के आचारà¥à¤¯ हà¥à¤à¥¤ जिसमें रामानà¥à¤œà¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯, माधवाचारà¥à¤¯, निमà¥à¤¬à¤•à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯, à¤à¤µà¤‚ वलà¥à¤²à¤à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤œ जी का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ आता है। आज मै अपने विशिषà¥à¤Ÿ लेख में वलà¥à¤²à¤à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ जी के जीवन पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालता हूं। हमारे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ की विशेषता रही है। कि जिसको पाना है उसको खोना पड़ेगा। जैसे à¤à¤—वान राम पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® राम कहलाने के लिठसरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® महरà¥à¤·à¤¿ विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° के साथ अपना पà¥à¤°à¤¥à¤® चरण का गृह तà¥à¤¯à¤¾à¤— किया उस समय किशोरावसà¥à¤¥à¤¾ में राजमहल का à¤à¤µà¤‚ परिवार का तà¥à¤¯à¤¾à¤— किया उसी मे कलांतर में 14 वरà¥à¤· के लिठराजगदà¥à¤¦à¥€ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— किया। उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जैन धरà¥à¤® के 24 वें तीरà¥à¤¥à¤‚कर à¤à¤—वान महावीर ने अपने वैशाली राजà¥à¤¯ के राजवैà¤à¤µ के रà¥à¤ª में राजà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— किया और कहा कि यदि कà¥à¤› पाना है तो कà¥à¤› छोड़ना ही पड़ेगा और सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ दिया जीओं और जीने दो। किसी के जीवन में किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª न होने दो। ठीक लगà¤à¤— उनसे 30 वरà¥à¤· छोटे कपिलवसà¥à¤¤à¥ के लà¥à¤®à¥à¤¬à¤¿à¤¨à¥€ में पैदा हà¥à¤ राजकà¥à¤®à¤¾à¤° सिदà¥à¤§à¤¾à¤°à¥à¤¥ ने अपने अलà¥à¤ª नवजात शिशॠपà¥à¤¤à¥à¤° राहà¥à¤² और पतà¥à¤¨à¥€ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— किया तथा बाद में गौतम बà¥à¤¦à¥à¤§ कहलाये। ‘‘à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨â€™â€™ के विषय में देश के दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ जो आज à¤à¥€ विदेशों में जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के चार महापà¥à¤°à¥à¤· पà¥à¤¾à¤¯à¥‡ जाते है उनमें समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ रतà¥à¤¨ डा राधाकृषà¥à¤£à¤¨ ने अपने पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ के अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ संसà¥à¤•à¤°à¤£ के 632 पेज पर लिखा है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ मà¥à¤–à¥à¤¯ रà¥à¤ª से ‘‘तà¥à¤¯à¤¾à¤— कोटि चतà¥à¤·à¥à¤•à¥‹à¤Ÿà¤¿ विरà¥à¤¨à¤®à¥à¤•à¥à¤¤à¤¯à¤¾â€™â€™ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ तà¥à¤¯à¤¾à¤— का à¤à¤µà¤‚ चतà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ का सृजनहार है। इसके बगैर किसी à¤à¥€ समाज के सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण ततà¥à¤µ की चरà¥à¤šà¤¾ नहीं की जा सकती है। उसी में से उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ वलà¥à¤²à¤à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ जी के बारें में लिखा कि वलà¥à¤²à¤à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ जी का सनॠ1479 में होता है। तथा इनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ अपने 10 से 11 वरà¥à¤· की उमà¥à¤° में वेद वेदानà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ का कà¥à¤² अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर लिया तथा दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ राजà¥à¤¯ विजयनगरम में महाराजा कृषà¥à¤£à¤¦à¥‡à¤µà¤°à¤¾à¤¯ के दरबार में ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ समय के सà¤à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ में हरा कर 18 वरà¥à¤· की उमà¥à¤° में उस राजà¥à¤¯ का आचारà¥à¤¯à¤¤à¥à¤µ/राजपà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ माहतà¥à¤®à¤¾ चाणकà¥à¤¯ की तरह इनको जीवन à¤à¤° नहीं à¤à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ इनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ 10 साल बाद उस पद का सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर दिया और जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥ शंकराचारà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ पर अदà¥à¤µà¥ˆà¤¤ वाद के सामने विशिषà¥à¤Ÿà¤¾ दà¥à¤µà¥ˆà¤¤ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤¾à¤—वतम पर ‘‘सà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¨à¥€ टीका’’ लिखी à¤à¤µà¤‚ बà¥à¤°à¤¹à¤® सूतà¥à¤° तथा अणà¥à¤à¤¾à¤¸à¥à¤¯ की रचना की। जो à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ मारà¥à¤— का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– गंà¥à¤°à¤¥ है। इनकी चरà¥à¤šà¤¾ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ कृषà¥à¤£ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¨à¤¯ गायक महतà¥à¤®à¤¾ सूरदास जी ने इनको अपना गà¥à¤°à¥ के रà¥à¤ª सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर कृषà¥à¤£ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की शासà¥à¤µà¤¤ नदी बहाई। महागà¥à¤°à¥ वलà¥à¤²à¤à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ जी ने अपने जीवन के काल में लगà¤à¤— पूरे आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ का तीन बार à¤à¥à¤°à¤®à¤£ किया। तथा à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· में 84 जगह पर पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤¾à¤—वतम का उपदेश दिया। जिसमें 24 सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बà¥à¤°à¤œà¤¨à¤¾à¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°/बà¥à¤°à¤œà¤®à¤£à¥à¤¡à¤² में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। जो मà¥à¤–à¥à¤¯ रà¥à¤ª से मथà¥à¤°à¤¾, वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨, गोकà¥à¤², नंदगांव à¤à¤µà¤‚ बरसाने में है। इन सà¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को महागà¥à¤°à¥ वलà¥à¤²à¤à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ का बैठका के रà¥à¤ª में पूजनीय सà¥à¤¥à¤² है तथा वहां पर पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤®à¤¾à¤°à¥à¤—/à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— के आचारà¥à¤¯ अà¤à¥€ à¤à¥€ मौजूद है तथा जब हम 84 कोस की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करते है तो उनका हम दरà¥à¤¶à¤¨ कर सकते है। आज हमें इस लेख लिखने का मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ है। कि दिनांक 7 मई 2021 को वरà¥à¤¥à¤¨à¥€ à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ है। इसी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के दिन इनका जनà¥à¤® 1479 में हà¥à¤† था। तथा à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि इसी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के दिन 1531 में इनका साकेतवास हà¥à¤†à¥¤ आपके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कà¥à¤² जीवन के 52 साल में से लगà¤à¤— 25 साल तक à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ मारà¥à¤— को दिया गया। उसमें से महामहिम कृषà¥à¤£ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के अमर गायक सूरदास जी जैसे शिषà¥à¤¯ इस आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ को दिये गये। सूरदास ने अपने पद/à¤à¤œà¤¨ के 180 पद में लिखा है 16वीं सदी में अपने पद में लिखा कि जो आजकल कोरोना का दौर चल रहा है। लिखा है कि रे मन धीरज कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न धरै, समà¥à¤µà¤¤ 2 हजार के उपर à¤à¤¸à¥‹ योग पड़े। पूरब पशà¥à¤šà¤¿à¤® उतà¥à¤¤à¤° दकà¥à¤·à¤¿à¤£ चहà¥à¤‚ दिसि काल परै। à¤à¤¸à¥€ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ वाणी वलà¥à¤²à¤à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ जी के पà¥à¤°à¤¿à¤¯ शिषà¥à¤¯ ने की है जो आज हम सà¤à¥€ को देखनी पड़ रही है। आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ ने अपने सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ में यह कहा है कि बà¥à¤°à¤¹à¤® à¤à¤µà¤‚ जीव दोनो को शासà¥à¤µà¤¤ है। à¤à¤• पूरà¥à¤£ है à¤à¤• उसी का अंश पर दोनो का गà¥à¤£ विशेषता समान है। आज हमारा समाज केवल à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• जगत पृथà¥à¤µà¥€ जल वायॠआकाश अगà¥à¤¨à¤¿ के लिठकारà¥à¤¯ कर रहा है। लेकिन वासà¥à¤¤à¤µ में बà¥à¤°à¤¹à¤® à¤à¤µà¤‚ जीव ततà¥à¤µ के लिठ95 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कà¥à¤› à¤à¥€ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® नहीं कर रहे है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वेदानà¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤¾à¤—वत गीता का मूल ततà¥à¤µ है कि जीवन है तो मृतà¥à¤¯à¥ का तकाजा है यदि पद है तो पद से निवृति का तकाजा है यदि सà¥à¤– है तो दà¥à¤– का तकाजा है और कोई à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¹à¤® à¤à¤µà¤‚ जीव ततà¥à¤µ के मधà¥à¤¯ में सृजन हà¥à¤† है तो उसका अंत निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ है। à¤à¤—वान ने अपनी महामाया से 84 लाख योनिया बनायी। सà¤à¥€ का गà¥à¤£ दोष के आधार पर कारà¥à¤¯ दिया। उसमें से सबसे पà¥à¤°à¤–र मतिषà¥à¤• का मनà¥à¤·à¥à¤¯ बनाया पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ ने अपने ही बनाये जाल में अपने दैहिक जीवन को फंसाता गया और दैविक जीवन को à¤à¥‚लता गया। कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ कोई à¤à¥€ संत महातà¥à¤®à¤¾ जब साधना करता है तो आडमà¥à¤¬à¤° से दूर हो जाता है। यदि वलà¥à¤²à¤à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ जी विजय नगर राजà¥à¤¯ के केवल राजपà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ होते तो आज आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ में इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोई नहीं जानता। लेकिन इनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ à¤à¤—वान राम à¤à¤—वान महावीर, à¤à¤—वान गौतम की तरह राजà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— किया à¤à¤µà¤‚ à¤à¤• गà¥à¤°à¥ के रà¥à¤ª में आज सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है। आज के समसà¥à¤¤ वैषà¥à¤£à¤µ à¤à¤µà¤‚ शैव संतों से अपील है कि वे आतà¥à¤®à¤¤à¤¤à¥à¤µ अपने शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में जगाये और वाहà¥à¤¯ ततà¥à¤µ से दूर रहे। जब हमारे मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® काल में अनेक वैषà¥à¤£à¤µ संत महातà¥à¤®à¤¾ हà¥à¤ जो आज à¤à¥€ पूजित है पर आज हमारे वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ काल में à¤à¤¸à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ कमी है कि संत अपनी आराधना à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— को छोड़कर राजसतà¥à¤¤à¤¾ के पीछे à¤à¤¾à¤—ता है। अनेक मेरे à¤à¥€ परिचित संत है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मै अपने सेवा काल में उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के सà¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ यथा काशी, मथà¥à¤°à¤¾, पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, अयोधà¥à¤¯à¤¾, नैमिशारणà¥à¤¯ शूकर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°, चितà¥à¤°à¤•à¥‚ट आदि पवितà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में à¤à¤µà¤‚ कà¥à¤®à¥à¤ मेला में तैनात रहा हूं। आज का संत पूछता है कि हमें फलाने राजसतà¥à¤¤à¤¾ से कà¥à¤¯à¤¾ लेना चाहिà¤à¥¤ तथा कà¥à¤¯à¤¾ मिल सकता है जब आप परमसतà¥à¤¤à¤¾ के लिये सबकà¥à¤› छोड़ चà¥à¤•à¥‡ है तो इस खोखली राजसतà¥à¤¤à¤¾ में कà¥à¤¯à¤¾ रखा है। हमेशा संत समाज राज सतà¥à¤¤à¤¾ को निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¤ किया है पर आज हमें यदि वासà¥à¤¤à¤µ में आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ à¤à¥‚मि का बचानी है। सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को बचानी है तो आतà¥à¤®à¤¤à¤¤à¥à¤µ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को जगानी पड़ेगी। अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ तीन दशक बाद खà¥à¤²à¥€ सांस लेना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² हो जायेगा। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आपकी सनातन पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ ही इतिहास के पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ में हडपà¥à¤ªà¤¾ मोहन जोदड़ो की तरह à¤à¤• मिथक बन जायेगी। हमें पà¥à¤°à¤à¥ ततà¥à¤µ को अपनाते हà¥à¤ कोरोना ही नहीं सà¤à¥€ महामारियों के नाश करने के लिठआगे आना होगा।