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जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण ने 'सरूली मेरू जिया लगी गे. गाकर दर्शकों को रातभर थिरकने पर मजबूर किया


गौचर मेले की तीसरी सांस्कृतिक संध्या पद्मश्री जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण एवं कवि सुरेश अलवेला, सुरेश सोनी ऊर्फ भोला, उपासना सेमवाल व अन्य कवियों के नाम रही। इस मौके पर लोक संस्कृति पर आधारित भजन, जागरों, लोकगीत व लोकनृत्त की प्रस्तुति पर देर रात तक लोग थिरकते रहे।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भटट धिल्डियाल

चमोली 17 नवम्बर 2019 गौचर मेले की तीसरी सांस्कृतिक संध्या पद्मश्री जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण एवं कवि सुरेश अलवेला, सुरेश सोनी ऊर्फ भोला, उपासना सेमवाल व अन्य कवियों के नाम रही। इस मौके पर लोक संस्कृति पर आधारित भजन, जागरों, लोकगीत व लोकनृत्त की प्रस्तुति पर देर रात तक लोग थिरकते रहे। हजारों की संख्या में कार्यक्रम में पहुॅचे स्रोताओं ने कार्यक्रम का खूब लुत्फ उठाया। तीसरी सांस्कृतिक संध्या पर मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक सुरेन्द्र सिंह नेगी, रूद्रप्रयाग के जिला जज हरीश गोयल एवं अल्मोडा के जिलाधिकारी नितिन भदौरिया ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण ने अपने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की शुरूआत खोली का गणेशा हे....मोरी का नारायण’’ जागर से की। इसके बाद उन्होंने एक से एक पहाडी लोक गीतों एवं पौराणिक जागरों की प्रस्तुति देकर लोगों का खूब मनोरजंन किया। उन्होंने ‘‘जा बाडुली सुआ माॅ रैबार पंहुचायों...,’’ तिवारी मां बैठी होलि सौजणयां मेरी, मोहना तेरी मुरली बाजी......, सरूली मेरू जिया लगी गे..... जैसे कई गानों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को रातभर थिरकने पर मजबूर किया। लोकगायक सूरतम भरतवाण ने भी खुदेड गीत गाकर लोगों को भाव विभोर किया। इससे पूर्व तीसरी सांस्कृतिक संध्या पर आयोजित कवि सम्मेलन में सुरेश अलवेला, सुरेश सोनी ऊर्फ भोला, उपासना व अन्य कवियों ने अपने काव्यपाठों से श्रोताओं को खूब आनंदित किया। कवि सम्मेलन में एक से बढकर एक हास्य व्यंग्य की कविताओं ने दर्शकों को हंसा हंसा कर लोटपोट किया। सम्मेलन में कवियों ने जहाॅ समसामयिक विषयों एवं वर्तमान राजनीति पर करारा प्रहार किया वही वीर रस से ओतप्रोत देश प्रेम की कविताओं से स्रोताओं में देशभक्ति का जोश भी भरा। तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित उपासना सेमवाल ने बेटी बचाओ बेटी पढाओं का संदेश देती कविता ‘‘बेटी बिरणी बणाई किले....,’’ वर्तमान परिदृश्य में सोशल मीडिया पर इंगित कविता ‘‘फेसबुक कू रोग...संगति मचि हाय हाय, जब बिटिन यू फेसबुक आई’’ तथा पलायन पर व्यंगात्मक कविता ‘‘नकली जन्म पत्री....’’ पर लोगों की खूब तालियां बोटोरी। वही तीसरे दिन सायं को प्रसिद्व जागर गायिका बंसती बिष्ट के जागरों ने भी मेले में खूब समा बांधा। उन्होंने गढवाली व कुमांऊनी बोली के पौराणिक जागर गीतों की एक से बढकर एक प्रस्तुति दी। जागर गीत ‘‘ऊंचि ऊंचि डांडियों में हे कुहेडी ना लगे तू.........मेरी झांवरी बाजि झमा झम.......के साथ ही देव स्तुति पर आधारित कई पौराणिक जागरों की प्रस्तुति देकर लोगों भाव विभोर कर दिया। बंसती बिष्ट के जागरों को सुनने के लिए दूर दराज से लोग मेले में पहुॅचे थे। इस दौरान मंच का संचालन राकेश कुमार पल्लव, योगेश धसमाना तथा सानिया अजीज द्वारा किया गया। सभी कलाकारों को मेला समिति की ओर से प्रतीक चिन्ह व शाॅल भेंट कर सम्मानित भी किया गया।

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