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संतों के सानिध्य में ही साधक का जीवन सफल होता है-स्वामी हरिचेतनानंद


श्रवणनाथ नगर स्थित आध्यात्मिक संस्था रामनिवास आश्रम का वार्षिकोत्सव सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में धूमधाम से मनाया गया।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¾à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गौड़

हरिद्वार, 17 नवंबर। श्रवणनाथ नगर स्थित आध्यात्मिक संस्था रामनिवास आश्रम का वार्षिकोत्सव सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में धूमधाम से मनाया गया। वार्षिकोत्सव के दौरान आश्रम के ब्रह्मलीन संतों स्वामी लक्ष्मणदास, माता रामबाई रामऋषि व माता केसरदेवी को संत समाज द्वारा भावभीनी श्रद्धांजलि भी अर्पित की गयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे म.म.स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि समाजसेवा व धर्मसेवा के क्षेत्र में रामनिवास आश्रम का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा कि समाज व राष्ट्र उत्थान के लिए सदैव समर्पित रहने वाले संतों के सानिध्य में ही साधक का जीवन सफल होता है। संतो से प्राप्त ज्ञान के माध्यम से साधक के जीवन में छाया अज्ञान रूपी अंधकार दूर होता है तथा जीवन में ज्ञान में प्रकाश होता है। जिससे उसका जीवन सदैव सफलता की और अग्रसर रहता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में ब्रह्लीन स्वामी लक्ष्मणदास, माता रामबाई रामऋषि व माता केसरबाई ने हमेशा अहम भूमिका निभायी। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए समाजसेवा में योगदान करना चाहिए। स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि निर्मल जल के समान जीवन लिए वाले संत सदैव परमार्थ के लिए प्रयासरत रहते हैं। जीवन पर्यन्त भक्तों के कल्याण के लिए समर्पित रहने वाले ब्रह्मलीन स्वामी लक्ष्मणदास, मातारामबाई रामऋषि व माता केसरदेवी महान संत थे। उनका जीवन दर्शन सभी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बना रहेगा। उन्होंने कहा कि रामनिवास आश्रम में संचालित सेवा प्रकल्पों के जरिए दरिद्र नारायण की जो सेवा की जा रही है। वह सभी के लिए अनुकरणीय है। संत समाज सनातन परंपराओं का निर्वहन देश दुनिया में करता चला आ रहा है। धार्मिक क्रियाकलापों से ही पुण्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है। निस्वार्थ सेवाभाव से मानव कल्याण में सभी को मिलजुल कर प्रयास करने चालिए। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज एवं स्वामी दिनेश दास महाराज ने संतों की वाणी अमृत समान होती है। ब्रह्मलीन स्वामी लक्ष्मणदास, माता रामबाई रामऋषि व माता केसरदेवी संत समाज के प्ररेणा स्रोत थे। उन्होंने हमेशा गौ व गंगा सेवा के लिए समाज को प्रेरित किया। आश्रम अखाड़ों में निस्वार्थ भाव सेवा प्रकल्प चलाकर समाज को गति प्रदान करने का काम किया। उनके बताए हुए मार्गो का अनुसरण सभी को करना चाहिए। संतों के आशीर्वाद से ही श्रद्धालु भक्तों का मार्ग प्रशस्त होता है। सुन्दरलाल ब्रज, श्यामलाल मेहता, जयकिशन मेहता, दिनेश मेहता, संजय वर्मा, अरूण कुमार, आत्मप्रकाश, पद्मप्रकाश सुवेदी, माता संतोष देवी, माता लक्ष्मी देवी, माता राजदेवी, माता आशादेवी, माता पूनम, माता आरती, सुरेंद्रपाल, लोकनाथ आदि ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरूषों का फूलमालाएं पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर महंत अरूणदास, महंत सूरजदास, महंत दुर्गादास, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, स्वामी केशवदास, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, स्वामी जगदीशानंद, स्वामी चिदविलासानंद, महंत श्यामप्रकाश, महंत धीरेंद्रपुरी, शिवम महंत, स्वामी गंगादास उदासीन, महंत विष्णुदास, संत जगजीत सिंह, पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल महाराज, महंत प्रेमदास, आदि सहित बड़ी संख्या में संत व श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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