परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल हिंसा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ संवेदना वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल में हà¥à¤ˆ हिंसा से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ लोगों को अनावशà¥à¤¯à¤• रूप से आकà¥à¤°à¥‹à¤¶ का सामना करना पड़ा जो की असहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ की हद है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 4 जून। परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल हिंसा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ संवेदना वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल में हà¥à¤ˆ हिंसा से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ लोगों को अनावशà¥à¤¯à¤• रूप से आकà¥à¤°à¥‹à¤¶ का सामना करना पड़ा जो की असहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ की हद है। जब मानवता, दानवता का चोला पहन लेती है तब इस तरह की हिंसा का सामना समाज को करना पड़ता है। वैचारिक à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ और मतà¤à¥‡à¤¦à¥‹à¤‚ पर असहिषà¥à¤£à¥ होकर हतà¥à¤¯à¤¾ जैसे कृतà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अंजाम देना जघनà¥à¤¯ अपराध है और यह समाज को असà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯ है, इसलिये कोई à¤à¥€ विरोध असहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ के सà¥à¤¤à¤° तक नहीं पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ चाहिये। पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल हिंसा के कारण जो इस धरा को छोड़कर देवलोक पधार गये हैं, उनकी आतà¥à¤®à¤¾ की शानà¥à¤¤à¤¿ के लिये परमारà¥à¤¥ निकेतन में विशेष यजà¥à¤ž किया गया तथा संतपà¥à¤¤ पीड़ित परिवारों को यह दà¥à¤ƒà¤– सहने की शकà¥à¤¤à¤¿, धैरà¥à¤¯ और संबल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ हो à¤à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। जो लोग अराजकता और हिंसा का तांडव कर रहे हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सदà¥à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो इस हेतॠदीप पà¥à¤°à¤œà¥à¤œà¤µà¤²à¤¿à¤¤ कर पà¥à¤°à¤à¥ से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विवाद नहीं बलà¥à¤•à¤¿ संवाद की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ लोकतंतà¥à¤° में हर आवाज़ को सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ जरूरी है न कि आवाज को ही मिटा दिया जाये। वैचारिक मतà¤à¥‡à¤¦à¥‹à¤‚ पर à¤à¤•-दूसरे के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की असहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ दिखाना à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ नहीं सिखाती। समाज में राजनीति तो हो परनà¥à¤¤à¥ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¨à¥€à¤¤à¤¿ और सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ के मापदंड़ों पर हो। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज की विविधता को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हà¥à¤¯à¥‡ समाज में सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ जिंदा रखना बहà¥à¤¤ जरूरी है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने सà¤à¥€ देशवासियों का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि सहिषà¥à¤£à¥ समाज के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हेतॠसà¤à¥€ को आगे आना होगा। ‘‘किसी के काम जो आये उसे इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ कहते हैं, पराया दरà¥à¤¦ पहचाने उसे इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ कहते हंै।’’ संत नरसी मेहता जी का बड़ा ही पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤œà¤¨ है, जो सहज मानवीयता को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है, ‘‘वैषà¥à¤£à¤µ जन तो तैणे कहिठजे पीड पराई जाणे रे’’ यही समय है जब हम सà¤à¥€ à¤à¤• दूसरे का साथ देते हà¥à¤¯à¥‡ आगे आकर समाज की विविधताओं को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हà¥à¤¯à¥‡ सहिषà¥à¤£à¥ समाज के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में योगदान देना होगा।