विशà¥à¤µ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ दिवस की शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ देते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ करना, उपहार सà¥à¤µà¤°à¥‚प पौधों को देना और पौधों का संरकà¥à¤·à¤£ करना सबसे सरल; सबसे सहज़ और सबसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तरीका है, इससे हम अपनी पृथà¥à¤µà¥€ और अपने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की रकà¥à¤·à¤¾ कर सकते हैं।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 5 जून। परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने आज विशà¥à¤µ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ दिवस के अवसर पर रूदà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· का पौधा रोपित कर देशवासियों को विशà¥à¤µ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ दिवस की शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ देते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ करना, उपहार सà¥à¤µà¤°à¥‚प पौधों को देना और पौधों का संरकà¥à¤·à¤£ करना सबसे सरल; सबसे सहज़ और सबसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तरीका है, इससे हम अपनी पृथà¥à¤µà¥€ और अपने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की रकà¥à¤·à¤¾ कर सकते हैं। आज राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक संघ के दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर जी की पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ पर परमारà¥à¤¥ गà¥à¤°à¥‚कà¥à¤² के ऋषिकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ और परमारà¥à¤¥ परिवार के सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤µà¤à¥€à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤‚लि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने यशसà¥à¤µà¥€ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€, उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, माननीय योगी आदितà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤¥ जी को उनके अवतरण दिवस पर शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ देते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और धारà¥à¤®à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ हेतॠयोगी जी का अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ योगदान है। जीवेमॠशरदः शतमà¥à¥¤ परमारà¥à¤¥ निकेतन परिवार ने योगी के पà¥à¤°à¤¾à¤•à¤Ÿà¥à¤¯ दिवस के अवसर पर विशेष यजà¥à¤ž कर दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि यह समय à¤à¤•-à¤à¤• पेड़ और जल की à¤à¤•-à¤à¤• बूंद को बचाने का है। यह समय खà¥à¤¦ को सरेणà¥à¤¡à¤° करने का समय है। हमें हमारी धरती और आने वाली पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बेहतर à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लिठमिलकर पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करना होगा। जहां पर à¤à¥€ बंजर à¤à¥‚मि हैं वहां पर पौधे लगायें, गांवों और शहरों को हरा-à¤à¤°à¤¾ करें, घरों के आस-पास खाली पड़ी जमीनों को बाग-बगीचों में बदलें तो ही पृथà¥à¤µà¥€ पर जीवन की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ की जा सकती है। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में चारों ओर कांकà¥à¤°à¥€à¤Ÿ के जंगल बà¥à¤¤à¥‡ जा रहे हैं, तमाल कटते जा रहे हंै, कदमà¥à¤¬ छंटते जा रहे है। पानी कम हो रहा है, तापमान बà¥à¤¤à¤¾ जा रहा है, गà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤° पिघल रहे हैं जिससे ये पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ सा हरा à¤à¤°à¤¾ नीला गà¥à¤°à¤¹ तपते गोले में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ हो रहा है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के कहा कि धरती को हमारी आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं है परनà¥à¤¤à¥ बिना उसके हमारे जीवन की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ नहीं, की जा सकती इसलिये धरती का शोषण नहीं, पोषण करें, दोहन नहीं संवरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¨ करें। हमारे ऋषियों ने हमें पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के अनà¥à¤°à¥‚प जीने का मारà¥à¤— दिखाया। गांधी जी ने à¤à¥€ कहा कि ’’धरती के पास सब लोगों की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं को पूरा करने के लिये परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ संसाधन हैं, परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लालच को पूरा करने के लिये परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ संसाधन नहीं हंै।’’ यह कथन इशारा करता है कि हमें गà¥à¤°à¥€à¤¡ कलà¥à¤šà¤° से नीड कलà¥à¤šà¤°; गà¥à¤°à¥€à¤¡ कलà¥à¤šà¤° से गà¥à¤°à¥€à¤¨ कलà¥à¤šà¤°; नीड कलà¥à¤šà¤° से नये कलà¥à¤šà¤°; यूज à¤à¤‚ड थà¥à¤°à¥‹ कलà¥à¤šà¤° से यूज à¤à¤‚ड गà¥à¤°à¥‹ कलà¥à¤šà¤° की ओर बà¥à¤¨à¤¾ होगा।